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    किसानों से बुलवाई पन्नी तिरपाल फिर भी गीली मक्का छोड़ी

  • November 22, 2021

    बैतूल। रविवार तड़के और दिन में हुई हल्की बारिश (light rain) वैसे तो रबी फसल के लिए बेहद उपयोगी है अधिकतर किसान वर्ग इस बारिश (Rain) से खुश भी है लेकिन यही बारिश शनिवार को मंडी में मक्का (maize in the market) बेचने आए किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई। शनिवार को मक्का की नीलामी हो जाने के बावजूद मंडी में लगभग 10 हजार बोरे मक्का की नपाई नहीं हो पाई थी। शनिवार- रविवार की रात में हुई बारिश से मंडी के बाहर रखी मक्का गीली हो गई। नीलामी में मक्का खरीदने वाले व्यापारियों ने किसानों से ही मक्का ढाकने के लिए पन्नी, तिरपाल आदि बुलवाए। इसके बावजूद प्रत्येक ढेर में नीचे गीली हुई मक्का की नपाई नहीं की गई। मजबूरी में किसानों को गीली मक्का समेटकर वापस ले जाना पड़ा। किसानों के साथ ही व्यापारियों द्वारा नपवाई गई मक्के के बोरे भी गीले हुए है। बारिश से व्यापारियों के साथ ही किसानों को भी नुकसान हुआ है।



    बैतूल कृषि उपज मंडी में मक्का की अत्यधिक आवक होने के कारण मंडी प्रबंधन द्वारा मक्का की खरीदी सप्ताह में तीन दिन ही करने का निर्णय लिया है। एक दिन नीलाम होने के बाद दो दिनों तक मक्का की नपवाई होती है। शनिवार को बैतूल मंडी में 24 हजार 122 बोरे मक्का की आवक हुई थी। इसमें शनिवार को लगभग आधे मक्का की तुलवाई हो पाई थी। दस हजार बोरे से अधिक मक्का मंडी में खुले आसमान के नीचे रखी हुई थी। शनिवार- रविवार की रात में जिले में अनेक स्थानों पर बारिश हुई। वहीं रविवार दिन में और शाम को भी बारिश होते रही। जिससे मंडी में बाहर रखा मक्का गीला हो गया।

    किसानों ने लाई पन्नी
    मंडी में व्यापारियों द्वारा नीलामी में ले चुके मक्का की नपाई नहीं होने से किसान मक्का के ढेर की रखवाली करते है। बारिश होने पर व्यापारियों ने दो टूक कह दिया कि पन्नी तिरपाल लाकर मक्का ढक दो। यदि मक्का गीली हो गया तो नपाई नहीं करवाई जाएगी। इसके बाद किसानों ने आनन-फानन में पन्नी, फट्टे आदि खरीदकर लाए। इसके बावजूद नीचे से पानी बह जाने से मक्का गीली हो गई। ग्राम हिड़ली आठनेर से मक्का बेचने आए किसान संजय साहू, संतोष कुइटे ने बताया कि शनिवार को उन्होंने 150 बोरे मक्का लाई थी। उनकी मक्का आरके ट्रेडर्स द्वारा खरीदी गई। शनिवार को मक्का की नपाई नहीं हो पाई। रविवार को पानी आने पर व्यापारी कर्मचारी ने बोल दिया कि पन्नी, तिरपाल लाक ढाक लो, मक्का गीला हो गया तो हम नहीं नपवाएंगे। संजय साहू ने बताया कि उसने 1500 रूपए में पन्नी और तिरपाल खरीद कर लाया। जब मक्का की नपाई हुई तो नीचे की लगभग 10 बोरे मक्का गीली निकली। उसके द्वारा मिन्नते करने के बाद भी मक्का नहीं नपवाई गई। जिसके चलते बची हुई मक्का समेटकर उसे घर ले जाना पड़ेगा। संजय ने बताया कि वह शुक्रवार शाम को मंडी पहुंच गया था। शनिवार सुबह मंडी में प्रवेश किया। शनिवार को नपवाई नहीं होने से शनिवार भी रूकना पड़ा। अब लगभग 10 बोरे मक्का बच गई है। जिसके चलते रविवार को भी मंडी में रूकना पड़ेगा। रविवार को जिन भी किसानों की नपाई हुई उनमें से अधिकतर को गीला मक्का समेटना पड़ा।

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