पटना । नेपाल में लगातार भारी बारिश (Heavy Rain) के कारण कोसी और गंडक (Kosi and Gandak) समेत प्रदेश की कई नदियां (Rivers) बेहद आक्रामक हो गई और इससे तटबंधों पर खतरा बढ़ गया है। रिकॉर्ड जलस्राव की वजह से रविवार को बगहा में गंडक और सीतामढ़ी के बेलसंड और रून्नीसैदपुर में बागमती तथा शिवहर के छपरा में बागमती का तटबंध टूट गया। इससे तीनों जिलों के बड़े इलाके में बाढ़ (Flood) का पानी फैल गया है और दर्जनों गांवों की हजारों की आबादी प्रभावित हुई है।
जल संसाधन विभाग दोनों तटबंधों की युद्धस्तर पर मरम्मत में जुटा है। हालांकि, गंडक तटबंध के क्षतिग्रस्त होने से नाराज विभाग ने बगहा के बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता निशिकांत कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उन पर जिला प्रशासन से उचित समन्वय नहीं बनाने का आरोप है। रविवार की शाम अत्यधिक दबाव के कारण बगहा-1 में गंडक नदी के बायें किनारे पर स्थित चंपारण तटबंध 4.50 किलोमीटर पर क्षतिग्रस्त हो गया। वहीं, बेलसंड प्रखंड के मधकाल गांव में बागमती नदी का बायां तटबंध 40 मीटर में क्षतिग्रस्त हो गया।
13 नदियों का जलस्तर लाल निशान के पार
नेपाल से लगातार पानी आने से सूबे की नदियों में फिर उफान आ गया है। 13 नदियों का जलस्तर रविवार को लाल निशान को पार कर गया। शांत हो रही गंगा भी फिर से बढ़ने लगी है। कई स्थानों पर इसका जलस्तर खतरे के निशान से पार पहुंचा है। अगले 24 से 48 घंटे में तेज बढ़ोतरी की आशंका है।
अगले 24 घंटे में बढ़ेगा जलस्तर
जल संसाधन विभाग के अनुसार रविवार को कोसी और गंडक के अलावा गंगा, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, ललबकिया, अधवारा, महानंदा, घाघरा, लखनदेई, परमान और पश्चिम कनकई नदियों का जलस्तर लाल निशान के ऊपर पहुंच गया है। जलस्तर में अब भी बढ़ोतरी हो रही है। कोसी सुपौल से खगड़िया तक, गंडक पश्चिम चंपारण से वैशाली तक जबकि महानंदा किशनगंज से कटिहार तक तेजी से ऊपर जा रही है। अगले 24 घंटे में इन सभी स्थानों पर तीनों नदियों के जलस्तर के खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने की संभावना है।
वीरपुर में कोसी बराज पर भारी दबाव
अत्यधिक जलस्राव के बाद कोसी के वीरपुर बराज पर भारी दबाव उत्पन्न हो गया है। इसे सुरक्षित रखने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास चल रहा है। दरअसल, बराज पर पानी के ओवर टॉप करने के बाद सड़क व इसके गेटों में भारी मात्रा में मलबा फंस गया। इससे पानी के बहाव में परेशानी होने लगी। इसके गेटों पर उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा था। पानी का प्रवाह भी बाधित हो रहा था। हालांकि जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों ने रविवार की शाम तक इन्हें हटाने में कामयाबी पाई। इसके बाद बराज पर बनी सड़क पर आवाजाही शुरू कर दी गई है।
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