गंगटोक (Gangtok)। हिमनदों के फटने (Glacial bursts) से होने वाली तबाही का संकेत विशेषज्ञ पहले ही दे चुके थे। विशेषज्ञों ने बताया था कि सिक्किम (Sikkim ) खतरनाक हिमनद झीलों (Dangerous glacial lakes) से घिरा हुआ है जो किसी भी समय फट सकती हैं और बाढ़ का कारण बन सकती हैं। सिक्किम (Sikkim) का आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और मौसम कार्यालय अचानक बाढ़ (Flash flood) के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने में नाकाम रहे।
हिमनद झीलें ग्लेशियरों के पिघलने और उनसे अचानक बड़ी मात्रा में पानी और मलबे के निकलने से बनती हैं, जिसे हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (जीएलओएफ) कहा जाता है। अस्थायी उपग्रह डाटा (Temporary satellite data) से पता चला कि सिक्किम में 320 हिमनद झीलें हैं। डाटा के विश्लेषण से यह भी पता चला है कि दक्षिण लहोनक ग्लेशियर (South Lahonq Glacier) के मुहाने पर, जो लगभग 7,000 मीटर की ऊंचाई पर है, एक झील बन गई है। वैज्ञानिकों ने बताया था कि झील केवल ढीली मिट्टी और मोराइन नामक मलबे से बंधी है। अगर यह टूटी तो नीचे की ओर तबाही मचा सकती है।
तीस्ता में 14 हिमनद झीलें खतरनाक
पाकिस्तान, चीन और तिब्बत क्षेत्र के पहाड़ों में ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावित ग्लेशियरों, हिमनद झीलों और संभावित जीएलओएफ की पहचान की सूची में कहा गया है कि तीस्ता नदी बेसिन में लगभग 576 वर्ग किमी के ग्लेशियर क्षेत्र के साथ 285 ग्लेशियर हैं। यहां 266 हिमनद झीलें हैं और उनमें से 14 खतरनाक हैं।
ग्लेशियरों के पिघलने से बढ़ रहा खतरा
ग्लेशियरों के पिघलने की दर में वृद्धि के कारण क्षेत्र में झीलें बढ़ रही हैं और उनकी संग्रहित जल क्षमता भी बढ़ रही है। सिक्किम भारतीय भूकंपीय चार्ट के जोन-4 में आता है और भूकंप के झटकों से जीएलओएफ ट्रिगर हो सकता है।
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