नई दिल्ली। अगर किसी कंपनी ने बैंक से कर्ज लिया है और उस कर्ज को समय पर न लौटाया गया तो कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है। यहां तक कि कई बार तो दिवालिया तक घोषित कर दिया जाता है। ऐसा ही कुछ चेन्नई की कंपनी शिवा इंडस्ट्रीज एंड होल्डिंग (Siva Industries and Holdings) के साथ भी था। कंपनी पर करीब 4,863 करोड़ रुपये का बकाया है, लेकिन मामला अदालत जाने की बजाय बाहर ही निपटा लिया।
बता दें कि शिवा इंडस्ट्रीज एंड होल्डिंग लोन सेटलमेंट मामले में गंभीर सवाल उठ रहे हैं। वजह यह कि बैंकों ने इस ग्रुप होल्डिंग कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही वापस लेने पर सहमति जताई है। हैरानी की बात है जो बैंक पाई-पाई का हिसाब रखती हैं वे 4,863 करोड़ रुपये का लोन मात्र केवल 323 करोड़ रुपये यानी कि केवल 6.5% की वसूली के साथ ही अदालत के बाहर सुलझाने पर सहमति बन गई है।
दिलचस्प बात यह है कि CoC मेंबर और देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने सेटलमेंट प्रपोजल के खिलाफ वोटिंग की है। इसके अलावा, मामला और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब ऋणदाता बैंक शिवा इंडस्ट्रीज एंड होल्डिंग को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया को वापस ले रहे हैं। इसके अलावा, यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि बैंकों द्वारा स्वीकार की गई सेटलमेंट राशि शिवा इंडस्ट्रीज और होल्डिंग्स की liquidation value से भी कम है. इस समझौते से जनता के 4,700 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक केनरा बैंक ने निजी तौर पर एआरसी – इंटरनेशनल असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (आईएआरसी) को 1,148 करोड़ रुपये का अपना एक्सपोजर बेच दिया है।
लीड बैंकर के रूप में IDBI बैंक उसी प्रमोटर के साथ मामले का निपटारा कर रहा है, जिसे आईडीबीआई लोन केस में सीबीआई की जांच का सामना करना पड़ा था, हालांकि इस मामले में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, चेन्नई बेंच की मंजूरी का इंतजार है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 जून 2021 तय की गई है।
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