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    पांच फीसदी जीएसटी ने बढ़ाया राशन का दाम

  • July 26, 2022

    • सहालग न होने से बिकवाली भी कम

    भोपाल। घर की रसोई के बजट को लेकर राहत की सांस लेने से पहले रसोई गैस की लौ तेज हो गई। कुछ दिनों में खाद्य तेल के दाम टूटे पर सिलेंडर के दाम बढ़े और अब 5 फीसद जीएसटी ने पूरा बजट ही बिगाड़ कर रख दिया। जिससे महंगाई से लोगों को राहत नहीं मिल सकी। पिछले दिनों खाद्य तेल के दाम में गिरावट हुई लेकिन सरकार ने 25 किलो से कम के सामान के पैकट पर पांच फीसद जीएसटी लगाकर आम आदमी की जेब का जवन हलका कर दिया। रसोई के सामान महंगा होने से आमजन के सामने फिर महंगाई की परेशानी खड़ी हो गई। गैस, बिजली,राशन सबकुछ महंगा हो चुका है। ऐस में घर चलाना मुश्किल हो रहा है।
    किराना कारोबारियों का कहना है कि इस कुछ समय से बिकवाली घटी है। जिसके चलते रसोई के कुछ सामान के दाम घटे थे पर 5 फीसद जीएसटी ने फिर दाम बढ़ा दिए है। बिकवाली कम होने का कारण यह भी हो सकता है कि इस वक्त सहलग कम है तो दूसरा कारण आनलाइन खरीद भी है। लोगों में आनलाइन खरीद का क्रेज बढ़ा है। आनलाइन सामान खरीदने पर कंपनियां कई तरह के आफर देती हैं। जिसके चलते सामान की कीमत कई बार बाजार से काफी कम मिल जाती है। रसोई के राशन पर भी कंपनियां खूब आफर बांट रही है। लोग आनलाइन पर जहां एक ओर सामान सस्ता खरीद लेते हैं वही दूसरी और उनके समय की बचत होती और आने जाने में जो व्याय होता है वह भी बच जाता है।


    जिसके कारण लोग बाजार में दुकानों पर कम खरीददारी करने लगे हैं। अप्रैल में खूब सहलग चली। 3 मई को अक्षय तृतिया पर जबरदस्त सहलग थी। इसके बाद विवाह में महूर्त तो रहे पर उसमें विवाह समारोह न के बराबर हुए। ठीक यही हाल जून महीने का रहा। 8जुलाई की सहलग के बाद 10 जुलाई से देव सो जाएंगे जिसके बाद अगले चार महीने विवाह समारोह का कोई महूर्त नहीं है। दीपावली बाद एक बार फिर सहलग आएगा तबतक राशन की मोटी बिकवाली लगभग बंद रहेगी। वर्ष 2019 में सरसों का तेल 85 रुपये लीटर था, जो पिछले महीने 170 रुपये हो चुका था। वहीं सोयाबीन का तेल भी 72 रुपये से बढ़कर 175 पहुंचा था। आटा 30 रुपये किलो, शक्कर 40, तुअर दाल 110, मसूर दाल 95 रुपये प्रति किलो मिल रही थी। सोयाबीन व सरसों के तेल में 30 से 40 रुपये की कमी आई है। जबकि घरेलू सिलेंडर (एलपीजी) की कीमत 1083 से बढ़कर 1136.5 रुपये हुआ। यही नहीं तेल (हेयर आयल), साबुन बनाने वाली कंपनियों ने भी उत्पाद की कीमत में 10 से 15 फीसदी तक कीमत बढ़ाई है। जिन कंपनियों ने कीमत नहीं बढ़ाई, उन्होंने उत्पाद का वजन घटाकर महंगाई का प्रबंधन करने की कोशिश की है।

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