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    पुराने जीपीएस डिवाइस लगे हैं तो ही हो सकेगा फिटनेस

  • December 27, 2022

    नए डिवाइस लगाने की अनिवार्यता के बीच पहले से लगे डिवाइस वाले वाहनों को 28 फरवरी तक  छूट, जिन वाहनों में डिवाइस नहीं उन्हें नए लगवाने होंगे

    इन्दौर। परिवहन विभाग (transport Department) द्वारा यात्री वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा लिए नए जीपीएस या व्हीकल ट्रैकिंग डिवाइस (vehicle tracking device) (वीएलटी) और पैनिक बटन लगाने की अनिवार्यता में थोड़ी छूट दी है। यह छूट सिर्फ उन वाहनों को दी गई है, जिनमें पहले से किसी अन्य कंपनी के डिवाइस लगे हुए हैं। जिन वाहनों में कोई डिवाइस नहीं लगा है उन्हें फिटनेस के लिए अब भी नए डिवाइस लगाना अनिवार्य किया गया है और इसके बिना फिटनेस के अपाइंटमेंट भी नहीं दिए जा रहे हैं।


    उल्लेखनीय है कि केंद्रीय परिवहन मंत्रालय (Union Ministry of Transport) की गाइड लाइन के तहत परिवहन विभाग द्वारा प्रदेश में 18 अक्टूबर से सभी यात्री वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए वीएलटी और पैनिक बटन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इस काम के लिए सिर्फ 10 कंपनियों के उपकरणों को ही मान्यता दी गई थी और इन कंपनियों के डिवाइस ना लगे होने पर फिटनेस के अपाइंटमेंट देना ही बंद कर दिया गया था। बस संचालकों द्वारा शुरुआत से ही इसका विरोध किया जा रहा था। बस संचालकों का कहना था कि केंद्र सरकार ने 90 से ज्यादा कंपनियों को इस काम के लिए अधिकृत किया है और ज्यादातर यात्री वाहनों में ये डिवाइस लगे हैं, लेकिन वो प्रदेश में अधिकृत की गई 10 कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों के हैं। इस पर प्रमुख सचिव परिवहन फैज अहमद किदवई ने परिवहन आयुक्त संजय कुमार झा को 1 नवंबर को पत्र लिखकर बस संचालकों को चार माह की छूट दिए जाने की बात कही थी। लंबे विरोध और इंतजार के बाद अब परिवहन विभाग ने यात्री वाहनों को 28 फरवरी तक की छूट दी है। लेकिन यह छूट सिर्फ उन वाहनों को मिलेगी जिनमें अन्य कंपनियों के डिवाइस लगे हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि जिन वाहनों में कोई भी डिवाइस नहीं लगाया गया है उन्हें नए उपकरण लगाने के बाद भी फिटनेस अपाइंटमेंट दिया जाएगा और जांच के बाद फिटनेस सर्टिफिकेट जारी होगा।


    कुछ और कंपनियों को भी जोड़ा  जाएगा मान्यता की सूची में

    अधिकारियों का कहना है कि शुरूआत में जब फिटनेस पर रोक लगाई गई थी तब प्रदेश में सिर्फ चार से पांच कंपनियों के उपकरणों को ही मान्यता दी गई थी, लेकिन अब ऐसी कंपनियों की संख्या 10 हो चुकी है। वहीं संभावना जताई जा रही है कि फरवरी तक कुछ और कंपनियों को भी इस काम के लिए मान्यता मिल जाएगी, जिससे ऐसी कंपनियों के उपकरण लगवा चुके वाहन मालिकों को सुविधा मिल सकेगी।

    मनमानी कीमतों पर अब भी विरोध

    बस संचालकों द्वारा नए उपकरणों की अनिवार्यता के विरोध में शासन ने फरवरी तक की छूट तो दे दी है, लेकिन बस संचालकों का नई कंपनियों की कीमतों को लेकर अब भी विरोध जारी है। प्राइम रुट बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया कि डिवाइस की कीमत 7 हजार तक है जबकि कंपनियां इसके 15 से 20 हजार तक वसूल रही हैं। इसे लेकर उन्होंने परिवहन आयुक्त को पत्र लिखते हुए मांग की है कि शासन इन डिवाइस की अधिकतम कीमत खुद तय करे, ताकी कंपनियां मनमानी वसूली ना कर पाए।

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