इस्लामाबाद । पाकिस्तान में इस्लामिक विचारधारा परिषद (Council of Islamic Ideology in Pakistan) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के उस फैसले का विरोध किया है, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पहली पत्नी को बिना बताए दूसरी शादी करता है तो पहली पत्नी को तलाक यानी विवाह रद्द करने का अधिकार होगा। परिषद ने इसे शरिया कानून के खिलाफ बताया और सुप्रीम अदालत के फैसले को खारिज कर दिया। संगठन ने कहा कि इस फैसले को परिषद की अगली बैठक में एजेंडे में लाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में एक अहम फैसला दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति बिना अपनी पत्नी की अनुमति के दूसरी शादी करता है, तो पहली पत्नी को विवाह अनुबंध समाप्त करने का अधिकार होगा। यह फैसला न्यायमूर्ति मंसूर अली शाह की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया था और इसे फरयाल मकसूद व अन्य द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के बाद जारी किया गया था।
1961 का मुस्लिम परिवार कानून
इस्लामिक विचारधारा परिषद ने 1961 के मुस्लिम परिवार कानून को भी शरिया कानून के खिलाफ बताया। इस कानून के तहत एक व्यक्ति को एक समय में चार महिलाओं से शादी करने का अधिकार है, लेकिन परिषद का कहना है कि इस कानून के प्रावधान शरिया के सिद्धांतों से मेल नहीं खाते हैं। परिषद ने कहा कि इस फैसले का विरोध जारी रहेगा और इसे अपनी अगली बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा। परिषद का मानना है कि पुरुषों को अपनी पहली पत्नी की अनुमति के बिना दूसरी शादी करने का अधिकार होना चाहिए, जैसा कि शरिया में निर्धारित है।
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