नई दिल्ली । अप्रैल में पड़ने वाली अमावस्या पर शनि अमावस्या का योग बन रहा है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिचरी अमावस्या (Shanichari Amavasya ) कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 अप्रैल को वैशाख मास (Vaishakh month) की अमावस्या है। वैशाख मास की अमावस्या को विशेष धार्मिक महत्व शास्त्रों में वर्णित है। इस दिन कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) की पूजा करना व उपाय करना बेहद लाभकारी माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण और व्रत भी रखा जाता है। खास बात यह है कि इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। इस दिन अमावस्या व सूर्य ग्रहण लगने के कारण कुछ विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। इस दिन वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए। वाहन प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए।
29 अप्रैल को शनि राशि परिवर्तन-
ज्योतिष के अनुसार, 29 अप्रैल को शनि का राशि परिवर्तन होने जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, शनि का राशि परिवर्तन काफी महत्वपूर्ण है। ढाई साल बाद शनि मकर से अपनी स्वराशि कुंभ में गोचर करने जा रहे हैं। कुंभ राशि में शनि के गोचर करने से शनि की साढ़े साती मीन राशि वालों पर शुरू होगी। वहीं कर्क व वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैय्या आरंभ होगी। जिसके चलते इन 3 राशि वालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
30 अप्रैल को शनिचरी अमावस्या पर लगेगा सूर्य ग्रहण-
साल का पहला सूर्य ग्रहण शनिचरी अमावस्या के दिन 30 अप्रैल को लगेगा। सूर्य ग्रहण का प्रभाव भी देश-दुनिया के साथ मानव जीवन पर पड़ता है। साल का पहला सूर्य ग्रहण आंशिक होगा। सूर्य ग्रहण मेष राशि में लग रहा है।
शनिचरी अमावस्या 2022 शुभ मुहूर्त-
वैशाख मास की अमावस्या 30 अप्रैल को सुबह 12:57 से शुरू होगी जो 1 मई को 01:57 पर समाप्त होगी।
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