न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को म्यांमार में जारी मानवाधिकार संकट को लेकर पहला प्रस्ताव लाया गया। इसमें मांग की गई कि म्यांमार की सेना (जुंता) मनमाने तरीके से हिरासत में रखे गए नागरिकों को तुरंत छोड़े। प्रस्ताव में म्यांमार की प्रमुख नेता आंग सान सू की और पूर्व राष्ट्रपति विन माइंट को छोड़ने का अनुरोध भी किया गया।
गौरतलब है कि यूएनएससी की अध्यक्षता इस महीने भारत के पास है। इसी मौके पर ब्रिटेन ने म्यांमार को लेकर यह प्रस्ताव पेश किया, जिस पर वोटिंग कराई गई। प्रस्ताव को लेकर यूएनएससी के 12 सदस्यों ने म्यांमार से तुरंत हिंसा रोकने और हिरासत में रखे गए लोगों को छोड़ने की मांग की। वहीं तीन सदस्य- रूस, चीन और भारत इस प्रस्ताव पर वोटिंग में शामिल नहीं हुए।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि यह प्रस्ताव म्यांमार में रक्तपात रोकने के लिए एक कदम है। हालांकि, इसे लेकर काफी कुछ किया जाना बाकी है। उधर चीन के राजदूत झांग जुन ने कहा कि म्यांमार के मुद्दे पर कोई भी हल तत्कालिक नहीं है।
म्यांमार में पिछले साल हुआ था तख्तापलट
म्यांमार में एक फरवरी 2021 को सेना ने निर्वाचित प्रतिनिधियों का तख्तापलट कर सत्ता खुद संभाल ली थी। फिलहाल सैनिक शासक जनरल मिन आंग हलायंग म्यांमार के राष्ट्राध्यक्ष हैं। तख्तापलट के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने म्यांमार पर कई प्रतिबंध लगाए थे।
इसके पहले भी 1990 के दशक में जब सेना ने निर्वाचित प्रतिनिधियों को जेल में डाल कर सत्ता पर कब्जा जमाया, तब 20 वर्ष तक अमेरिका ने म्यांमार के लिए राजदूत की नियुक्ति नहीं की थी। 2010 में जब म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल की गई, तब अमेरिका ने वहां अपना राजदूत भेजा था।
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