शिमला। प्रदेश में चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में कोरोना ने हिमाचल की आर्थिकी को बड़ा झटका दिया है। कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के मद्देनजर लागू लॉक डाउन की वजह से प्रदेश के राजस्व संग्रहण में करीब 1250 करोड़ की गिरावट आई है। ऊर्जा के साथ साथ खनन, औद्योगिक व पर्यटन प्रत्येक क्षेत्र में गिरावट का असर प्रदेश की जीडीपी पर पडऩा तय है। हालात सामान्य होने में अधिक वक्त लगने की स्थिति में प्रदेश की विकास दर पर भी इसका असर पड़ेगा।
वित्त विभाग के प्रधान सचिव प्रबोध सक्सेना ने माली साल की पहली तिमाही में राजस्व संग्रहण में बीते साल के मुकाबले करीब 55 फीसद की गिरावट दर्ज होने की पुष्टि की है। प्रदेश के राजस्व संग्रहण के आंकड़ों को देखें तो वित्तीय वर्ष में सरकार का राजस्व संग्रहण करीब 10 हजार करोड़ तक पहुंचता है। लॉक डाउन की वजह से माली साल की पहली तिमाही में इसमें भारी गिरावट दर्ज की गई है।
हिमाचल की आर्थिकी कर्ज के सहारे चल रही है। करीब 56 हजार करोड़ का कार्ज सरकार पर है। कर्ज के साथ साथ विशेष दर्जा प्राप्त राज्य होने की वजह से केंद्र से अधिकांश योजनाओं के लिए प्रदेश को 90:10 में धन मिलता है। बावजूद इसके बजट में घोषित विकास कार्यों को पूरा करने के अलावा कर्मचारियों के वेतन भत्तों व पेंशन पर सरकार को हर साल भारी भरकम रकम खर्च करनी पड़ती है। अकेले कर्मचारियों के वेतन भत्तों व रिटायर कर्मचारियों की पेंशन के भुगतान पर ही सरकार को हर माह करीब 1400 करोड़ की दरकार रहती है।
राजस्व संग्रहण में भारी कमी के चलते सरकार न सिर्फ केंद्र से मिलने वाली राजस्व घाटा अनुदान, बल्कि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी व जीएसटी प्रतिपूरक अनुदान पर निर्भर कर रही है। चालू माली साल में प्रदेश को अब तक केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान की 952 करोड़ की चार समान किश्तें मिल चुकी हैं। इसके अलावा बीते मार्च का जीएसटी प्रतिपूरक अनुदान राशि के तौर पर केंद्र से 238.5 करोड़ की रकम मिली है। केंद्रीय करों में प्रदेश की हिस्सेदारी के एवज भी 335 करोड़ की राशि केंद्र से मिल चुकी है। (एजेन्सी, हि.स.)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved