नई दिल्ली। भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर बढ़ी तल्खी के बीच दोनों देशों ने आज पहली बार बातचीत की। दोनों देशों ने भारत-नेपाल जॉइंट ओवरसाइट मैकनिजम के तहत समीक्षा बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में भारत की फंडिंग से नेपाल में चल रही विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा हुई। इस बैठक में नेपाल के नए नक्शे या सीमा विवाद पर कोई बातचीत नहीं हुई।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में भारत की तरफ से नेपाल में राजदूत विनय मोन क्वात्रा ने हिस्सा लिया जबकि नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी ने अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। क्वात्रा और बैरागी भारत-नेपाल जॉइंट ओवरसाइट मैकनिजम के जॉइंट चेयरमेन भी हैं।
पिछले वर्ष भारत ने अपने नए केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के नक्शे में कालापानी रीजन को शामिल किया तो नेपाल सरकार ने इस पर आपत्ति जताई और उसे नेपाल का हिस्सा बताया। मई में जब भारत ने लिपुलेख तक जाने वाली सड़क का उद्घाटन किया तो नेपाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। इस वर्ष जून महीने में नेपाल की संसद ने देश के नए नक्शे को पारित कर दिया जिसमें भारतीय क्षेत्रों कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को शामिल कर लिया गया। भारत ने इसे अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि नेपाल का इन इलाकों पर दावा बिल्कुल आधारहीन है।
भारत के साथ रिश्ते खराब करने में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की खास भूमिका रही जिन्होंने भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या तक को नकली बता दिया। बाद में गौतम बुद्ध के मुद्दे पर भी विवाद हुआ जब भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उन्हें भारत के सबसे बड़े चर्चित आदर्शों में एक बताया। इस पर नेपाल ने कहा कि गौतम बुद्ध भारत के नहीं नेपाल के थे।
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