नई दिल्ली। सरकार को अवॉर्ड लौटाने का मुद्दा पिछले कुछ सालों से मीडिया की सुर्खियां में रहा है। हाल ही में मणिपुर के टॉप एथलीट्स ने अवॉर्ड वापसी की धमकी दी है। उनका कहना कि अगर मणिपुर में भड़की हिंसा जल्द शांत नहीं की हुई तो अवॉर्ड वापस करना शुरू करेंगे। वहीं बृजभूषण मामले में देखा गया था कि सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट न होने के कारण पहलवान अपने मेडल गंगा में बहाने हरिद्वार गए थे। इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों इसको संसदीय समिति ने एक खास पहल की है। अब अवॉर्ड देने से पहले प्राप्तकर्ता से अंडरटेकिंग फॉर्म भरवाने की सिफारिश की गई है।
संसदीय समिति की सिफारिश है कि शीर्ष सांस्कृतिक संस्थानों और अकादमियों को पुरस्कार वापसी जैसी स्थिति से बचने के लिए अवॉर्ड प्राप्त करने वाले से पहले वचन लेना चाहिए। संसद की स्थाई समिति अवॉर्ड वापसी के मुद्दे को देश का अपमान बताया है। समिति ने कहा कि इससे पुरस्कारों की साख पर असर पड़ रहा है। इससे बचने के लिए कमेटी ने सरकार से एक ऐसी व्यवस्था बनाने की सिफारिश की है, जिसमें पुरस्कार देने से पहले अवॉर्ड पाने वाले कलाकार, लेखक और अन्य बुद्धिजीवी से इस बात की सहमति ले ली जाए कि वह भविष्य में पुरस्कार वापस नहीं करेंगे।
संसदीय समिति का मानना है कि अवॉर्ड पाने वाले उम्मीदवार से पहले एक शपथ पत्र भरवाना चाहिए। साथ ही बगैर सहमति के किसी को भी पुरस्कार न दिया जाए। समिति ने सिफारिश रखते हुए ऐसे कई मामलों का जिक्र किया है, जिनमें अवॉर्ड लौटाने की बात कही गई थी।
कमेटी ने कलबुर्गी हत्या का किया जिक्र
समिति के सदस्यों ने साल 2015 में कर्नाटक के प्रख्यात लेखक कलबुर्गी की हत्या के बाद अवॉर्ड वापसी मामले का भी जिक्र किया। कमेटी ने कहा कि यह लोकतांत्रिक देश है, हमारा संविधान हर नागरिक को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। संविधान विरोध-प्रदर्शन की भी आजादी देता है, लेकिन पुरस्कार लौटाना विरोध का एक तरीका बन रहा है।
सदस्य ने कहा कि समिति को सरकार को उन वास्तविक मुद्दों पर दृढ़ता से टिप्पणी करनी चाहिए, जिनके विरोध में ऐसे पुरस्कार लौटाए गए हैं और उन्हें हल करने की दिशा में काम करना चाहिए। इससे विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुरस्कार वापसी के मुद्दे को हल किया जा सकता है। कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि जब भी कोई पुरस्कार दिया जाए तो प्राप्तकर्ता की ओर से इस बात की सहमति जरूर ली जाए कि वह भविष्य में पुरस्कार वापस नहीं करेगा, ताकि वह राजनीतिक कारणों से इसे वापस न लौटाए।
कमेटी में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल
कमेटी का यह भी कहना है कि साहित्य अकादमी सहित पुरस्कार देने वाली दूसरी अकादमियां एक गैर राजनीतिक संगठन हैं, इसलिए राजनीति के लिए यहां कोई स्थान नहीं है। ऐसा करने वालों को किसी ज्यूरी में रखने या फिर किसी अहम पद पर नामित नहीं किया जाना चाहिए। इस कमेटी में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं। संस्कृति मंत्रालय से जुड़ी संसद की इस स्थाई समिति के अध्यक्ष राज्यसभा सांसद व वाईएसआर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी विजयसाय रेड्डी हैं।
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