नई दिल्ली। अगर कोरोना के टीके की एक डोज भी आपने लगवाई है तो आपको 98 फीसदी संक्रमण होने का खतरा नहीं है। चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टरों की इस रिसर्च ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के देश में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान में एक नई जान फूंक दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने चंडीगढ़ पीजीआई के इस शोध के खुलासे के बाद देश के अन्य प्रमुख चिकित्सा संस्थान और कॉरपोरेट अस्पतालों से भी शोध करने को कहा है। वहीं कई संस्थान शोध शुरू भी कर चुके हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक चंडीगढ़ पीजीआई ने, जिन मरीजों में टीके की एक डोज लगाई और जिन मरीजों में टीके की दोनों डोज लगीं, उन पर शोध किया। शोध के दौरान पाया गया कि जिन मरीजों में टीके की एक डोज़ लगाई गई उनमें संक्रमण का खतरा महज दो फीसदी था और जिन मरीजों में टीके की दोनों डोज़ लगाई गईं उनमें भी संक्रमण का खतरा महज दो फीसदी ही था। यानी शोध के बाद यह पाया गया कि टीके की पहली खुराक के लगने के साथ ही कोरोना संक्रमण से बचने की संभावनाएं 98 फीसदी ज्यादा हो जाती हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में देश के टीकाकरण पर नजर रखने वाली कमेटी के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा कहते हैं कि पीजीआई का यह शोध बताता है कि टीकाकरण की पहली डोज से ही लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित होने लगते हैं। वह कहते हैं इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि देश में टीकाकरण की डोज का शेड्यूल बदला जाएगा। यानी दो डोज की जगह पर एक डोज का इस्तेमाल होगा। उनका कहना है यह शोध बताता है कि पहला टीका ही हमें और आपको बचाने लगता है। जब टीके की दूसरी डोज लगती है तो इम्यूनिटी मजबूत हो जाती है और एंटीबॉडी वायरस के खिलाफ पूरी तरीके से लड़ने में सक्षम हो जाती हैं।
चंडीगढ़ पीजीआई की रिसर्च के साथ-साथ देश के कई बड़े अस्पतालों और कॉरपोरेट अस्पतालों में भी इसी तरीके का शोध शुरू हो चुका है। अगले कुछ दिनों में ही देश के नामी चिकित्सा संस्थान और कॉरपोरेट हॉस्पिटल्स की रिसर्च भी सामने आ जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है उस शोध के बाद कोविड नेशनल टास्क फोर्स और वैक्सीनेशन से जुड़ी कमेटी आगे की रणनीति पर काम करेंगी।
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