दो नाबालिग लडक़ों का मामला किशोर न्याय बोर्ड के सुपुर्द
इंदौर। एक वॉट्सएप ग्रुप (whatsapp group) में एक नाबालिग लडक़ी को बाजारू बता दिया गया। जब एक लडक़े ने ऑफर दिया तो पहले पुलिस थाने (POlice station) में केस दर्ज करवा दिया, फिर कोर्ट में बयान पलटकर बोली कि उसे बुरा नहीं लगा।
पुलिसिया कहानी के अनुसार 10 मार्च 2017 को नाबालिग लडक़ी के पिता ने द्वारकापुरी थाने में रिपोर्ट लिखाई थी कि उसके यहां पूजा व भोजन प्रसादी का आयोजन था। इस दौरान एक वॉट्सएप गु्रप में उसकी पुत्री का फोटो डालकर उसे बाजारू बताने की कोशिश की गई। उसी दिन लडक़ी 10वीं की परीक्षा देकर घर लौट रही थी तो राह में 24 वर्षीय वीरू उर्फ वीरेंद्र पटेल निवासी न्यू द्वारकापुरी ने उसे 100 रुपए में साथ चलने का ऑफर दिया। मामले में पुलिस ने वॉट्सएप ग्रुप के नाबालिग एडमिन, उस पर कमेंट करने वाले एक लडक़े व वीरू के खिलाफ छेड़छाड़, पॉक्सो एक्ट एवं आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। दोनों लडक़ों के मामले नाबालिग होने से किशोर न्याय बोर्ड के सुपुर्द किए गए, जबकि वीरू के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत गठित विशेष अदालत में चला। यहां पहले तो पीडि़ता ने वीरू द्वारा ऑफर दिए जाने के बयान दिए और पुलिसिया कहानी का समर्थन किया, किंतु सवालों के जवाब में पलट गई और कहा कि वीरू ने कोई गलत बात नहीं कही थी और न उसकी किसी बात का बुरा लगा। उसने यह तक कहा कि उसने थाने में कोई दरखास्त भी नहीं दी थी। रिपोर्ट दर्ज कराते समय पीडि़ता के भाई द्वारा भी उसके मोबाइल पर गंदे संदेश आने की बात कही गई थी, लेकिन कोर्ट में भाई भी होस्टाइल हो गया और किसी तरह के संदेश आने की बात नकार दी। भाई-बहन के पलट जाने से पुलिसिया कहानी फुस्स हो गई। विशेष न्यायाधीश रश्मि वाल्टर ने वीरू को छेड़छाड़ व अन्य इल्जामों से छोड़ दिया।
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