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    फिरोजाबाद: अलाइजा टेस्ट न हो पाने की वजह से जानलेवा हो रहा डेंगू, अब तक 111 की मौत

    September 09, 2021

    लखनऊ/फिरोजाबाद। फिरोजाबाद और आसपास के इलाकों में फैला डेंगू का बुखार कैसे ‘संदिग्ध’ बना, इसके पीछे की वजह अलाइजा टेस्ट का न हो पाना है। शुरुआती दौर में जो मरीज मेडिकल कॉलेज पहुंचे उनका केवल रैपिड एंटीजेन टेस्ट हुआ। जबकि डेंगू प्रोटोकॉल में साफ है कि जबतक अलाइजा टेस्ट (alias test) में डेंगू की पुष्टि नहीं होगी तबतक उसे डेंगू का मरीज नहीं माना जाएगा।

    वहीं, जबतक मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल(principal of medical college) अलाइजा टेस्ट का इंतजाम करवा पातीं तबतक स्थितियां बिगड़ चुकी थीं और फिरोजाबाद के कई इलाकों में मौत होने लगी थी। फिरोजाबाद में जानलेवा बुखार (deadly fever) से मृतकों का आंकड़ा 111 हो गया है। बुधवार को 5 बच्चों समेत 8 लोगों की मौत हो गई।

    फिरोजाबाद (Firozabad) मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. सुनीता नेगी से जब मशीन काम न करने के बारे में पूछा गया तो वह बताती हैं कि किट्स को स्टोर नहीं किया जा सकता है। वह खराब हो जाती हैं। जब शुरुआती दिनों में कुछ एक मरीज आए, जिन्हें चार-पांच दिन से बुखार (Fever) आ रहा था तो उनका रैपिड एंटीजेन टेस्ट किया गया।

    मेडिकल कॉलेज ने खुद से खरीदीं किट्स
    सुनीता नेगी ने बताया कि पीड़ितों में प्लेटलेट्स काउंट कम मिले तो उनका ट्रीटमेंट शुरू कर दिया गया। इस बीच तत्कालीन सीएमओ से किट्स के लिए कहा गया तो उन्होंने उपलब्ध नहीं करवाईं। जब एक दिन तक उनकी तरफ से जवाब नहीं आया तो मेडिकल कॉलेज ने किट्स स्वयं खरीदीं और इंजीनियर बुलाकर मशीन की जांच करवाकर उसे प्रयोग में लाया गया। इसके बाद यहां आने वाले मरीजों के रैपिड एंटीजेन टेस्ट के अलावा अलाइजा टेस्ट भी होने लगे। राजधानी लखनऊ से भी किट्स आ गई हैं।



    जबतक डेंगू पुष्ट होता तबतक हालात बिगड़ चुके थे
    मौके पर गई टीम के एक सदस्य के मुताबिक, हालात देखकर लगता है कि जबतक अलाइजा टेस्ट में डेंगू पुष्ट होता तबतक हालात बिगड़ चुके थे। इलाके में ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं था कि यह डेंगू है और कई जगहों पर तो झोलाछाप के इलाज की भी बातें आई हैं। वह कहते हैं कि अगर शुरुआती दौर में ही डेंगू पुष्ट हो जाता और तत्कालीन सीएमओ ने इलाके में डेंगू की रोकथाम के उपाय किए होते तो हालात कुछ और हो सकते थे।

    अलाइजा टेस्ट मानक
    स्वास्थ्य मानकों के मुताबिक अलाइजा टेस्ट के बिना डेंगू को पुष्ट नहीं माना जाता है। रैपिड एंटीजेन टेस्ट केवल संदिग्ध मरीज ही बताता है, जिसके आधार पर इलाज तो शुरू किया जा सकता है, लेकिन उसे डेंगू का मरीज पुष्ट करने के लिए अलाइजा टेस्ट होना अनिवार्य है।

    डेंगू पसार रहा पांव, लेकिन मौत के आंकड़ों पर लगी ब्रेक
    फिरोजाबाद और मथुरा के बाद अब डेंगू के मामले मैनपुरी और फर्रुखाबाद में भी देखे जा रहे हैं। केस मिल रहे हैं। कुछ एक पॉकेट्स हैं, जहां डेंगू संक्रमितों की संख्या सचेत करने की स्थिति तक है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की मानें तो राहत की बात यह है कि मौत के आंकड़ों में काफी कमी आई है। डीजी हेल्थ डॉ. वेदव्रत सिंह ने बताया कि डेंगू की पहचान होने के बाद इलाज की दिशा भी वही है। लिहाजा मौत के आंकड़ों में कमी आई है। लोग भी गंभीर हुए हैं, लिहाजा सही जगह इलाज हो रहा है।

    फिरोजाबाद के सीएमओ दिनेश कुमार प्रेमी ने बताया कि जब से अलाइजा टेस्ट होने शुरू हुए हैं। तब से लेकर अबतक 598 लोग डेंगू संक्रमित पाए गए हैं। हालांकि राहत केवल इस बात की है कि किसी नए पॉकेट में डेंगू का आउटब्रेक नहीं हुआ है। वहीं, डीजी हेल्थ के मुताबिक मथुरा और फिरोजाबाद के हालात कुछ काबू में आते दिख रहे हैं। लेकिन एटा और मैनपुरी में डेंगू के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। वहां के स्वास्थ्य प्रशासन को अलर्ट रहने और इसकी रोकथाम के उपाय करने को कहा गया है।

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