इस माह चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा, बैसाखी, चेटीचंड, रामनवमी, हनुमान जयंती आएगी
इन्दौर। होली का दहन और धुलेंडी (Dhulendi) निपटते ही प्रेम, उमंग और उल्लास के फागुन मास की बिदाई हो गई और भक्ति और शक्ति के चैत्र महिने ( Chaitra month) की शुरुआत हुई , नवरात्रि का पर्व चैत्र मास में मनाया जाता है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र का महीना हिंदू नववर्ष का प्रथम महीना माना जाता है । इस नव वर्ष के पहले माह में त्योहारों (festival) का सिलसिला भी शुरू होगा।
अमावस्या (Amavasya) के पश्चात चंद्रमा जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर प्रतिदिन एक-एक काल बढ़ता हुआ 15वें दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्णता को प्राप्त करता है, तब वह मास चित्रा नक्षत्र के कारण चैत्र कहलाता है। इसे संवत्सर कहते हैं जिसका अर्थ है ऐसा विशेषकर जिसमें बारह माह होते हैं। हिन्दू कैलेंडर (Hindu calendar) के अनुसार फाल्गुन माह अंतिम माह होता है इसके बाद चैत्र माह का प्रारंभ हो जाता है। इस बार चैत्र माह का प्रारंभ अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 29 मार्च को प्रारंभ हो गया माह की शुरुआत तो कृष्ण पक्ष एक से ही शुरू हो गई , परंतु प्रतिपदा से नववर्ष (New Year) प्रारंभ होने के कारण 13 अप्रैल से बड़ी नवरात्रि प्रारंभ होगी और इसी दिन गुड़ी पड़वा भी है। तभी से विक्रम संवत 2078 भी प्रारंभ हो जाएगा। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है। मां दुर्गा शक्ति का रूप हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करती हैं। इसके साथ ही मां दुर्गा हर प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। नवरात्रि का पर्व प्रतिपदा की तिथि से नवमी की तिथि तक मनाया जाता है।
यह है चैत्र मास से जुड़ी आवश्यक बातें
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, सनातन धर्म में नया वर्ष चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। अधिकतम लोग इसे नवसंवत्सर कह कर बुलाते हैं वहीं महाराष्ट्र (Maharashtra) में लोग इस दिन को गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के नाम से मनाते हैं। ईरान की तो वहां पर इस तिथि को नौरोज के नाम से जाना जाता है। असम में इसे रोंगली बिहू, पंजाब में वैशाखी (Baisakhi), जम्मू कश्मीर में नवरेह, आंध्र प्रदेश में उगादिनाम, केरल में विशु और सिंध में चेटीचंड कह कर बुलाते हैं। इस दिन भगवान राम और युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी हुआ था और सिख समुदाय के दूसरे गुरु अंगद देव ने जन्म लिया था।
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