- नगर निगम ने बनाई कमेटी-इंजीनियर के साथ दो डॉक्टर और फायर कर्मी करेंगे हर अस्पताल की जांच
उज्जैन। जबलपुर में आगजनी हुई और कई मौत के बाद भी उज्जैन जिले के अस्पताल फायर एनओसी लेने के प्रति गंभीर नहीं है और नगर निगम के नोटिस को भी हवा में उड़ा रहे हैं तथा निगम के नोटिस का जवाब तक नहीं दे रहे। ऐसे में आगजनी होगी तो कौन होगा जिम्मेदार। नगर निगम क्या केवल नोटिस देकर ही अपना काम पूरा कर लेगी। जबलपुर के अस्पताल में आगजनी हुई थी और कई मौतें हुई थी, वहीं लॉकडाउन के दौरान उज्जैन के पाटीदार अस्पताल में भी आग लगी थी और उसके बाद नोटिस देने की कार्रवाई नगर निगम ने शुरू की थी जो अब तक चल रही है लेकिन जिले के अस्पताल इस मामले में सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
जानकारी के अनुसार नगर निगम फायर ब्रिगेड ने उज्जैन शहर सहित जिले के 53 अस्पतालों को फायर एनओसी लेने के लिए नोटिस दिया है लेकिन आश्चर्य की बात है कि चार-पाँच महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक मात्र 6 अस्पतालों ने ही इस मामले में फायर की एनओसी ली है बाकी के 47 अस्पताल बिना फायर एनओसी लिए ही संचालित किए जा रहे हैं। इन अस्पताल में कई अस्पताल बहुमंजिला हैं और यदि आगजनी होती है तो इनमें से इलाज करा रहे हैं रोगियों का निकलना भी मुश्किल है। नगर निगम ने दो से तीन बार नोटिस जारी कर दिए, अब थक हार कर फायर ब्रिगेड ने एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी में नगर निगम के इंजीनियर, फायर कंसलटेंट और फायर ब्रिगेड के फायर कर्मी तथा स्वास्थ्य विभाग से 2 डॉक्टर नियुक्त किए गए हैं। यह सभी जिले के हर अस्पताल में आग बुझाने संबंधित व्यवस्थाएं ठीक है कि नहीं देखेंगे और रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपेंगे। इसके बाद भी जिन अस्पतालों ने फायर एनओसी नहीं ली है उन अस्पतालों के लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी।