नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Supreme Court Delhi High Court) को 2020 के दिल्ली (Delhi) दंगों को भड़काने वाले कथित घृणास्पद भाषणों और टिप्पणियों को लेकर भाजपा (B J P) के चार नेताओं (leaders) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर फैसला करने के लिए तीन महीने का समय दिया है। दिल्ली में फरवरी, 2020 में दंगे के दौरान कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई और 700 से ज्यादा घायल हुए थे। पिछले साल दिल्ली में हुई हिंसा के तीन पीड़ितों द्वारा दाखिल याचिका में भाजपा (BJP) के चार नेताओं के खिलाफ एक विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने और जांच की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की शीर्ष अदालत की दो सदस्यीय पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय से इस मामले की शीघ्रता से, अधिकतम तीन महीने के भीतर, सुनवाई करने को कहा है। याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा से जुड़े मामलों की जांच के लिए दिल्ली के बाहर के अधिकारियों के साथ एक स्वतंत्र एसआईटी के गठन की भी मांग की है। रिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा, “याचिकाकर्ता उम्मीद खो रहे हैं। जामिया के छात्रों के लिए क्या न्याय है? दिल्ली दंगों के पीड़ितों के लिए क्या न्याय है? छात्रों को बेरहमी से पीटा गया … सिर फोड़ दिया गया.” उन्होंने कहा, “पिछले साल मार्च में उच्चतम न्यायालय द्वारा मामलों को समयबद्ध तरीके से तय करने के निर्देश के बावजूद लिए उच्च न्यायालय कार्यवाही में देरी कर रहा है। ” पिछले साल 4 मार्च को भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट से इस मामले में ”जितनी जल्दी हो सके” फैसला करने को कहा था। अदालत ने कहा कि “लंबे समय तक स्थगन उचित नहीं था”। गोंजाल्विस ने शीर्ष अदालत को बताया कि उच्च न्यायालय ने तब कहा था कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया परिसर में कथित पुलिस अत्याचारों की जांच की मांग वाली याचिकाओं के बाद मामले की सुनवाई की जाएगी।
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