भोपाल। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बिद्युत उपकेंद्रों पर पदस्थ आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे शोषण को खुद पकड़ा है। ठेकेदार बिजली कंपनियों के अधिकारियों की मिलीभगत से आउटसोर्स कर्मचारियों का सालों से शोषण कर रहे थे। ऊर्जा मंत्री ने मक्सी, शाजापुर एवं आगरोद बिजली उपकेंद्रों का आकस्मिक निरीक्षण किया। इस दौरान पता चला कि ठेकेदार कर्मचारियों का वेतन पूरा देते हैं, लेकिन बाद में कुछ हिस्सा ले लेते हैं। ऊर्जा मंत्री ने संबंधित ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज कराई है। शनिवार को इंदौर से ग्वालियर जाते समय ऊर्जा विभाग की पॉवर ट्रांसमिशन कम्पनी के 220 केवी एवं 132 केवी उप केंद्र मक्सी, शाजापुर एवं आगरोद का आकस्मिक निरीक्षण किया। शाजापुर जिले के मक्सी एवं देवास जिले के आगरोद में निरीक्षण के दौरान आउट सोर्स श्रमिक के रूप में कार्यरत आपरेटर एवं सुरक्षा गार्ड से वेतन सम्बन्धी जानकारी लेने पर पता चला कि कर्मचारियों को ठेकेदार द्वारा वेतन का भुगतान करने के पश्चात वेतन का कुछ हिस्सा वापस ले लिया जाता है। प्रकरण संज्ञान में आते ही ऊर्जा मंत्री ने सम्बन्धित अधिकारियों को दोषियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही के निर्देश दिये। सम्बन्धित ठेकेदारों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई गई।
पहले ऊर्जा मंत्री, जो उपकेंद्र का औचक निरीक्षण करने पहुंचे
ऊर्जा मंत्री प्रद्युन्म सिंह तोमर पहले ऊर्जा मंत्री है, जो उप केंद्र तक का औचक निरीक्षण करने पहुंच गए हैं। हालांकि यह उनके कार्यक्रम में शामिल नहीं था। उनका अचानक ग्वालियर जाने का कार्यक्रम बनने की वजह से उन्होंने रास्ते उप केंद्र का निरीक्षण कर लिया और बिजली कंपनी के अफसर और ठेकेदारों की मिलीभगत से सालों से चल रहे छोटे कर्मचारियों के आर्थिक शोषण का खेल उजागर हो गया।
आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण बर्दाश्त नहीं
ऊर्जा मंत्री तोमर ने जब आउटसोर्स कर्मचारियों से उनके वेतन के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि हमें 8400 के स्थान पर मात्र 5200 मिल रहे हैं ।इस पर ऊर्जा मंत्री ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए ट्रांसमिशन कंपनी के महाप्रबंधक को जांच के निर्देश दिए। उन्होंने संबंधित जिले के कलेक्टर और एसपी को भी ठेकेदार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। तोमर ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
लॉकडाउन में ड्यूटी बजाई, लेकिन पैसा नहीं दिया
मध्य क्षेत्र विद्युत विजली कंपनी के अधीन आने वाले ग्वालियर, शिवपुरी में उप केंद्रों पर पदस्थ कर्मचारियों को ठेकेदारों ने लॉकडाउन में तीन महीने का पैसा नहीं दिया था। कुछ कर्मचारियों को पैसा काटकर दिया था। जबकि लॉकडाउन में सरकार ने गांव एवं शहरों में 24 घंटे की बिजली आपूर्ति की। कर्मचारियों ने पूरी ड्यूटी की। पहले तीन महीने का पैसा रोका, जब पैसा मांगा तो नौकरी से निकालने की धमकी दी गई।
प्रदेश भर में यही स्थिति
बिजली कंपनियों में निचले स्तर पर ज्यादातर कर्मचारी आउटसोर्स हैं। जो ठेकेदारों द्वारा रखे गए हैं। ठेकेदारों द्वारा उनके खातों में पूरा पैसा दिया जाता है, लेकिन बाद में नगद ले लिया जाता है। यही स्थिति पूरे प्रदेश में है। कर्मचारियों के आर्थिक शोषण का खेल बिजली कंपनियों के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है।
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