img-fluid

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ FIR दर्ज, लगे ये आरोप

September 27, 2024

नई दिल्ली: कर्नाटक (Karnataka) की भ्रष्टाचार निरोधक निकाय ने शुक्रवार को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा भूमि आवंटन से जुड़े कथित घोटाले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Karnataka Chief Minister Siddaramaiah) के खिलाफ मामला दर्ज किया है. यह मामला यहां की एक विशेष अदालत द्वारा सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच के आदेश दिए जाने के दो दिन बाद आया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनकी पत्नी ने मानदंडों का उल्लंघन करते हुए MUDA द्वारा प्रीमियम संपत्तियां आवंटित की हैं.

एफआईआर में सिद्धारमैया को पहले आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है, उसके बाद उनकी पत्नी पार्वती, साले मल्लिकार्जुन स्वामी और कथित ज़मीन मालिक देवराज का नाम दर्ज है. आरोपों के अनुसार, मैसूर विकास निकाय ने पार्वती के स्वामित्व वाली ज़मीन का एक टुकड़ा अधिग्रहित किया और उसे उच्च मूल्य के भूखंडों के साथ मुआवज़ा दिया. भाजपा के नेतृत्व वाले विपक्ष और कुछ कार्यकर्ताओं ने सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पार्वती पर इस अवैध मुआवज़े वाली ज़मीन के सौदे से लाभ उठाने का आरोप लगाया है, उनका अनुमान है कि कथित अनियमितताएं 4,000 करोड़ रुपये की हैं.


कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को ही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ा झटका देते हुए मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि घोटाले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल की मंजूरी की वैधता को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. सिद्धारमैया ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218 के तहत उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती दी थी. राज्यपाल ने तीन कार्यकर्ताओं की याचिकाओं के बाद जांच के लिए मंजूरी दी, जिन्होंने एक प्रमुख इलाके में MUDA द्वारा सिद्धारमैया की पत्नी को 14 साइटों के आवंटन में अनियमितताओं का आरोप लगाया था.

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण को शॉर्ट फॉर्म में MUDA कहते हैं. मैसूर शहर के विकास कार्यों के लिए यह अथॉरिटी स्वायत्त संस्था यानी कि ऑटोनॉमस बॉडी है. जमीनों के अधिग्रहण और आवंटन का कार्य प्राधिकरण की ही जिम्मेदारी है. मामला जमीन घोटाले का है, इसलिए MUDA का नाम इस मामले में शुरू (2004) से जुड़ता आ रहा है. यह मामला MUDA की ओर से उस समय मुआवजे के तौर पर जमीन के पार्सल के आवंटन से जुड़ा है, जब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया में अनियमितताएं हुई हैं. इससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ है. इस मामले में MUDA और राजस्व विभाग के आला अधिकारियों के नाम भी सामने आये हैं.

मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने साल 1992 में कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से ली थी. उसे प्रक्रिया के तहत कृषि भूमि से अलग किया गया था, लेकिन 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को वापस कर दिया था. इस तरह से यह जमीन एक बार फिर कृषि जमीन बन गई.

यहां तक सब ठीक था. अब विवाद की शुरुआत हुई साल 2004 से, इस दौरान सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के भाई बी एम मल्लिकार्जुन ने साल 2004 में इसी जमीन में 3.16 एकड़ जमीन खरीदी. इस दौरान यहां 2004-05 में कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन की सरकार थी और तब सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे. इसी दौरान सामने आया कि इसी जमीन को एक बार फिर से कृषि की भूमि से अलग किया गया था, लेकिन जब जमीन का मालिकाना हक लेने के लिए सिद्धरमैया फैमिली पहुंची तब तक वहां लेआउट विकसित हो चुका था.

Share:

मदरसों को लेकर जल्दी होगी FIR...मंत्री रामनिवास रावत का बड़ा बयान

Fri Sep 27 , 2024
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत (Forest and Environment Minister Ramniwas Rawat) क्षेत्र के दौरे के दौरान मदरसों को लेकर एफआईआर किए जाने संबंधी बयान दिए हैं, जिससे अब फिर से मदरसों के संचालकों में हड़बड़ी मच गई है। हाल ही में मध्यप्रदेश शासन (Government of Madhya Pradesh) ने 56 […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
गुरुवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved