भारत ने देश में निवेश आकर्षित करने एवं वित्तीय ढांचे को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से आज लक्ज़मबर्ग के साथ तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये और अंतरिक्ष के क्षेत्र में मिल कर काम करने का इरादा जाहिर किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं लक्ज़मबर्ग के प्रधानमंत्री ज़ेवियर बेटेल के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से द्विपक्षीय शिखर बैठक में ये फैसले लिये गये। श्री मोदी ने लक्ज़मबर्ग की अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ में शामिल होने की घोषणा का स्वागत किया और आपदा प्रतिरोधी संरचना गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया। दोनों देशों ने कोविड-19 महामारी से निपटने के उपायों एवं कोविड पश्चात विश्व में साझीदारी के परिदृश्य पर भी चर्चा की। श्री मोदी ने कोविड-19 महामारी से लक्ज़मबर्ग में हुई जानहानि के लिए देश की ओर से संवेदना भी प्रकट की। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वित्त से लेकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में बहुत निकटता से काम करने वाले दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच 20 साल बाद यह पहली द्विपक्षीय शिखर बैठक हुई है। बैठक में श्री मोदी ने आतंकवाद के खतरे को लेकर वैश्विक स्तर पर सहयोग का आह्वान भी किया।
दोनों देशों के बीच पहला करार इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज और लक्ज़बर्ग स्टॉक एक्सचेंज के बीच, दूसरा करार भारतीय स्टेट बैंक और लक्ज़बर्ग स्टॉक एक्सचेंज के बीच तथा तीसरा करार इन्वेस्ट इंडिया एवं लक्सइनोवेशन के बीच हुआ। ये करार वित्तीय सेवा बाजार में तकनीकी सहयोग बढ़ाने, वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटैक), प्रतिभूति बाजार को व्यवस्थित रखने तथा स्थानीय बाजारों में पर्यावरण अनुकूल वित्तपोषण के अलावा दोनों देशों की कंपनियों के बीच परस्पर व्यापार सहयोग बढ़ाने एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को सुलभ बनाने में सहायक होंगे। श्री मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा कि आज जब विश्व कोविड-19 महामारी की आर्थिक और स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझ रहा है, भारत-लक्ज़मबर्ग साझीदारी दोनों देशों के साथ-साथ दोनों क्षेत्रों की रिकवरी के लिए उपयोगी हो सकती है। लोकतंत्र, कानून व्यवस्था एवं स्वतंत्रता जैसे साझा आदर्श हमारे संबंधों और आपसी सहयोग को मजबूती देते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और लक्ज़मबर्ग के बीच आर्थिक आदान-प्रदान बढ़ाने का बहुत क्षमता है। स्टील, वित्तीय प्रौद्योगिकी, डिजीटल जगत जैसे क्षेत्रों में हमारे बीच अभी भी अच्छा सहयोग है तथा इसे और आगे ले जाने की अपार संभावनाएं हैं। यह प्रसन्नता की बात है कि कुछ दिन पहले भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने लक्समबर्ग के चार उपग्रहों काे प्रक्षेपित किया। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी हम पारस्परिक आदान प्रदान बढ़ा सकते हैं। बैठक के बाद विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पश्चिम यूरोप) संदीप चक्रवर्ती ने संवाददाताओं से बातचीत में जानकारी दी कि दोनों देश जल्द ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक करार पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। यह करार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और लक्ज़मबर्ग अंतरिक्ष एजेंसी के बीच होगा। लक्ज़मबर्ग उपग्रह निर्माण में अग्रणी देश है और निचली कक्षा में स्थापित होने वाले उपग्रहों का निर्माण करता है। इसी प्रकार वायुयानों में संचार प्रणाली के मामले में भी वह अग्रणी है।
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