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NATO में शामिल हुआ फिनलैंड, बना 31वां सदस्य

April 04, 2023

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच चल रही जंग के बीच, यूरोप के सुरक्षा परिदृश्य (security landscape) में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। रूस की नाराजगी के बावजूद फिनलैंड (Finland) मंगलवार को नाटो का 31वां सदस्य बन गया। फिनलैंड के नाटो में शामिल (Finland joins NATO) होने के बाद अब रूस से लगने वाली नाटो देशों की सीमा पहले की तुलना में लगभग दोगुनी हो गई है। बता दें कि फिनलैंड की करीबन 1300 किलोमीटर से लंबी सीमा ऐसी है जो रूस से सटी हुई है। ऐसे में यह यूक्रेन के साथ जारी तनाव के बीच रूस के चिंता का कारण बन सकता है। इससे पहले, गुरुवार को तुर्किये की संसद में फिनलैंड को नाटो का सदस्य बनने की मंजूरी दी गई थी।

नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने इसका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि पहले हमने नहीं सोचा था कि फिनलैंड हमारा सदस्य बन जाएगा। लेकिन अब वे हमारे गठबंधन के पूर्ण सदस्य होंगे। यह वास्तव में ऐतिहासिक है। हालांकि क्रेमलिन ने इस कदम को रूस की सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों पर “हमला” करार दिया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि यह रूस की सुरक्षा पर हमला है। इस कदम के बाद हम सामरिक और रणनीतिक दृष्टि से जवाबी उपाय करने के लिए मजबूर होंगे।

इससे पहले, स्टोल्टेनबर्ग ने ब्रसेल्स में नाटो के विदेश मंत्रियों की बैठक की पूर्वसंध्या पर कहा था कि कल से फिनलैंड नाटो का पूर्ण सदस्य बन जाएगा। फिनलैंड के शामिल होने से अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि नाटो जल्द ही स्वीडन का भी पूर्ण सदस्य के रूप में स्वागत करने की उम्मीद करता है। बता दें कि बीते साल रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के बाद यूरोप का सुरक्षा परिदृश्य अचानक बदल गया था। मॉस्को के इस कदम को देखते हुए फिनलैंड और उसका पड़ोसी स्वीडन दशकों की सैन्य गुटनिरपेक्षता को छोड़ने के लिए प्रेरित हुए थे।


फिनलैंड और स्वीडन ने 2022 में नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन जमा किए थे। तुर्किये और हंगरी को छोड़कर नाटो के अधिकांश सदस्यों ने इन दो नॉर्डिक देशों के आवेदनों का स्वागत किया था। तुर्किये के राष्ट्रपति अर्दोआन ने फिनलैंड और स्वीडन पर कुर्द ‘आतंकवादी संगठनों’ को रखने का आरोप लगाया था। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने कहा कि फिनलैंड और स्वीडन उनके देश के कानून के शासन के रिकॉर्ड के बारे में ‘स्पष्ट झूठ’ फैला रहे हैं। बता दें कि स्वीडन और फिनलैंड ने साल 2022 में नाटो का सदस्य बनने के लिए आवेदन किया था। इसके बाद अधिकतर देशों ने स्वीडन और फिनलैंड को नाटो का सदस्य बनाने की मंजूरी दे दी थी लेकिन हंगरी और तुर्किए इसके लिए तैयार नहीं थे। तुर्किए का आरोप था कि कुर्दिश आतंकी संगठन फिनलैंड और स्वीडन में अपना बेस बनाए हुए हैं और वहां से तुर्किए के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। हालांकि दोनों देशों ने तुर्किए के आरोपों से इनकार किया था।

वहीं हंगरी का आरोप है कि स्वीडन और फिनलैंड में कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है और दोनों देश इसके बारे में झूठ बोलते हैं। हालांकि बाद में तुर्किए और हंगरी ने फिनलैंड के प्रति अपने रुख को नरम कर लिया था और फिनलैंड को नाटो में शामिल करने की मंजूरी दे दी। हालांकि दोनों देश अभी भी स्वीडन की सदस्यता का विरोध कर रहे हैं। हंगरी का कहना है कि स्वीडन को सदस्यता पाने के लिए कई बड़े कदम उठाने होंगे। तुर्किये की संसद ने 30 मार्च को नाटो में शामिल होने के लिए फिनलैंड के आवेदन के पक्ष में मतदान किया, जिससे उसके प्रवेश प्रक्रिया में अंतिम बाधा दूर हो गई। हालांकि, उसने स्वीडन को सैन्य गठबंधन में शामिल होने के लिए मंजूरी नहीं दी। रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्किये का वोट, फिनलैंड को सैन्य गठबंधन का हिस्सा बनने की अनुमति देने के तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन के ‘वादे’ को पूरा करता है। तुर्किये फिनलैंड के प्रवेश को मंजूरी देने वाला अंतिम नाटो सदस्य था।

नाटो यानी कि नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन, एक रक्षा गठबंधन है। साल 1949 में इसका गठन किया गया था। इस संगठन में अमेरिका, यूके, कनाडा और फ्रांस जैसे देश शामिल हैं। इस संगठन के देशों पर अगर कोई हमला करता है तो सभी सदस्य देश एक दूसरे की मदद करेंगे और विरोधी देश पर एक साथ हमला करेंगे। रूस से यूरोप को बचाने के लिए नाटो की शुरुआत हुई थी और अभी तक नाटो में कुल 30 सदस्य देश थे। जोकि अब बढ़कर 31 हो गए हैं। वहीं दूसरी ओर, हाल ही में रूस की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपडेटेड नेशनल फॉरेन पॉलिसी कॉन्सेप्ट को मंजूरी दी है। इसके मुताबिक रूस सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी का निर्माण करना जारी रखेगा और द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा बढ़ाने, निवेश और तकनीकी संबंधों को मजबूत करने और अमित्र देशों और उनके गठबंधनों के ‘विनाशकारी कार्यों’ के लिए उनके प्रतिरोध को सुनिश्चित करने पर विशेष जोर देगा।

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