नई दिल्ली। केरल (Kerala) में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर(Sree Padmanabhaswamy temple) की प्रशासनिक समिति ने न्यास की लेखा परीक्षा का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) से कहा कि मंदिर बहुत मुश्किल समय से जूझ रहा है और वहां चढ़ाया जाने वाला दान (donations) इसके खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ से कहा कि केरल (Kerala) के सभी मंदिर बंद हैं। उन्होंने कहा, मासिक खर्च 1.25 करोड़ रुपए है, जबकि हमें मुश्किल से 60-70 लाख रुपये मिल पाते हैं इसलिए हमने कुछ दिशा-निर्देशों का अनुरोध किया है।
वर्ष 2013 की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक ट्रस्ट के पास 2.87 करोड़ नगद, 1.95 करोड़ की संपत्ति है। बंसत ने पीठ से कहा कि ट्रस्ट का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुआ था इसलिए उसे भी मंदिर में योगदान करना चाहिए। न्यास की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने तर्क दिया कि यह शाही परिवार द्वारा बनाया गया एक सार्वजनिक न्यास है और इसकी प्रशासन में कोई भूमिका नहीं है और यह न्यास याचिका में पक्षकार नहीं है। उन्होंने कहा कि मामले में न्यायमित्र ने न्यास का केवल जिक्र किया है। कोर्ट ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर न्यास को 25 साल का लेखा परीक्षा कराने के पिछले साल के आदेश से छूट के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई पूरी करके अपना आदेश सुरक्षित रखा था। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने केरल हाईकोर्ट के 2011 के उस फैसले को दरकिनार कर दिया था, जिसमें ऐतिहासिक मंदिर के प्रबंधन और सम्पत्तियों का नियंत्रण लेने के लिए एक न्यास गठित किए जाने का राज्य सरकार को आदेश दिया गया था।