नई दिल्ली (New Delhi)। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने घरेलू बचत (household savings) में गिरावट (decline) को लेकर हो रही आलोचनाओं को नकारते हुए कहा कि लोग अब दूसरे वित्तीय उत्पादों (other financial products) में निवेश (Investing ) कर रहे हैं, इसलिए ‘संकट’ जैसी कोई बात नहीं है।
वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को एक्स पोस्ट पर जारी एक बयान में घरेलू बचत में पिछले कई दशकों में आई सबसे बड़ी गिरावट और इसका अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर हो रही आलोचनाओं को सिरे से खारिज कर दिया है। मंत्रालय ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि उपभोक्ताओं का रूझान अब विभिन्न वित्तीय उत्पादों की ओर है। इसी वजह से घरेलू बचत कम हुई है।
वित्त मंत्रालय ने बताया कि जून, 2020 और मार्च 2023 के बीच घरेलू सकल वित्तीय परिसंपत्तियां 37.6 फीसदी बढ़ी। वहीं, घरेलू सकल वित्तीय देनदारी 42.6 फीसदी बढ़ी। इन दोनों के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि लोग अब कर्ज लेकर घर एवं अन्य रियल एस्टेट संपत्तियां खरीद रहे हैं। बैंकों के व्यक्तिगत कर्ज में रियल एस्टेट और वाहन कर्ज की हिस्सेदारी 62 फीसदी है। यह दर्शाता है कि घरेलू क्षेत्र में संकट जैसी कोई बात नहीं है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के ताजा जारी मासिक बुलेटिन के एक लेख में कहा गया है कि शुद्ध घरेलू बचत वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 फीसदी रही, जो पिछले 47 वर्षों का निचला स्तर है। इससे एक साल पहले यह 7.2 फीसदी थी। दूसरी ओर, घरेलू क्षेत्र की सालाना वित्तीय देनदारी बढ़कर 5.8 फीसदी हो गई, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 3.8 फीसदी थी।
इस बीच एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना महामारी के दौरान रिजर्व बैंक ने रेपो दर स्थिर रखी थी, जिसकी वजह से लोगों ने घरेलू बचत करने की बजाय संपत्तियों में निवेश किया है।
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