नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को मोरक्को (Morocco) के मराकेश (Marrakesh) में ‘नीतिगत चुनौतियों पर संवाद’ (Dialogue on policy challenges’) विषय पर आईएमएफ संचालक मंडल की बैठक में वैश्विक वृद्धि में मंदी के संबंध में चिंता जताई। उन्होंने मजबूत, कोटा-आधारित और पर्याप्त रूप से संसाधन युक्त आईएमएफ की वकालत की।
सीतारमण ने मोरक्को में कहा कि भारत वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के दौरान 7.8 फीसदी की वृद्धि दर के साथ सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। उन्होंने बढ़ती वैश्विक ऋण कमजोरियों के संबंध में वैश्विक संप्रभु ऋण गोलमेज सम्मेलन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय सुरक्षा तंत्र और जलवायु कार्रवाई के मद्देनजर यह सुनिश्चित करना जरूरी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैश्विक वित्तीय सुरक्षा तंत्र के केंद्र में एक मजबूत, कोटा-आधारित और पर्याप्त रूप से संसाधन युक्त आईएमएफ की प्रतिबद्धता दोहराई है, जिसके केंद्र में वैश्विक वित्तीय सुरक्षा तंत्र और जलवायु कार्रवाई हों। वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक समुदाय की समन्वित प्रतिक्रिया ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना को बढ़ावा देगी।
दरअसल, कोटा की 16वीं सामान्य समीक्षा (जीआरक्यू) से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को अधिक हिस्सेदारी मिलने की उम्मीद है। आईएमएफ के प्रस्ताव के मुताबिक 16वीं जीआरक्यू 15 दिसंबर तक पूरी होनी चाहिए। कोटा हिस्सेदारी में किसी भी समायोजन के चलते उभरते देशों के वोटिंग अधिकारों में वृद्धि होने की उम्मीद है।
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