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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दावा, अगले बजट में आर्थिक वृद्धि दर और महंगाई में दिखेगा संतुलन

October 13, 2022

वाशिंगटन। आगामी बजट की तैयारियों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि देश का अगला बजट बहुत ही सावधानी से बनाना होगा, जिससे आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बनाए रखने के साथ उच्च महंगाई पर लगाम लगाने में मदद मिले। भारत इस समय धीमी विकास दर और उच्च महंगाई की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की उच्च कीमतें निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी समस्याओं में एक है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक की सालाना बैठक में शामिल होने वाशिंगटन डीसी आईं वित्त मंत्री ने ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट में जानेमाने अर्थशास्त्री ईश्वर प्रसाद के अगले साल के बजट को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, इस बारे में कुछ विशेष बता पाना अभी जल्दबाजी होगी और यह मुश्किल भी है। लेकिन, मोटे तौर पर वृद्धि की प्राथमिकताएं सबसे ऊपर रहेंगी।

महंगाई की चिंताओं से भी निपटना होगा।लेकिन, फिर सवाल उठेगा कि आप विकास दर को किस प्रकार बरकरार रखेंगे। सीतारमण ने कहा, अब यही देखना है कि दोनों के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि महामारी से उबरकर भारतीय अर्थव्यवस्था ने जो गति पाई है, वह अगले साल भी कायम रहे। इसलिए इस बजट को बहुत ध्यानपूर्वक कुछ इस तरह बनाना होगा कि आर्थिक विकास दर की रफ्तार बरकरार रह सके। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2023 को 2023-24 का आम बजट पेश करेंगी।

वैश्विक तनाव का हमारी अर्थव्यवस्था पर असर
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वैश्विक तनाव भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है। इस तनाव की वजह से ऊर्जा, खाद और खाने-पीने की वस्तुओं के दाम बढ़े हैं। इस पर हमारी नजर है और हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि इसका दबाव लोगों पर न पड़े। उन्होंने कहा कि ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की गई ताकि भारतीयों को इसकी बढ़ती कीमतों का खामियाजा न भुगतना पड़े।
भारत तेल जरूरतों का 85% आयात करता है। आयात पर निर्भरता से वैश्विक बाजार में ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर भारत पर सीधा पड़ता है।

  • इस आयातित महंगाई से घरेलू मोर्चे पर कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है।
  • 07 फीसदी वृद्धि दर का केंद्रीय बैंक ने 2022-23 के लिए लगाया अनुमान।
  • लगातार 9वें माह आरबीआई के उच्च दायरे से बाहर रही है खुदरा महंगाई।

मौद्रिक नीति को सख्त करना केंद्रीय बैंक का उचित फैसला : आईएमएफ
आईएमएफ ने भारत में महंगाई को काबू में करने के लिए मौद्रिक नीति को सख्त करने पर आरबीआई की सराहना की। मुद्रा कोष के मौद्रिक एवं पूंजी बाजार विभाग में उप खंड प्रमुख गार्सिया पास्क्वाल ने कहा, मई से ही तय सीमा से ऊंचे स्तर पर बनी महंगाई से निपटने के लिए आरबीआई ने मौद्रिक नीति को सख्त कर उचित किया है। मुझे ध्यान है आरबीआई ने रेपो दर में 1.90 फीसदी की वृद्धि की है। हमारा मानना है कि महंगाई को निश्चित स्तर तक लाने के लिए और सख्ती करनी होगी।

  • आईएमएफ में वित्तीय परामर्शदाता एवं मौद्रिक-पूंजी बाजार विभाग में निदेशक तोबायस एड्रियन ने कहा, महंगाई को देखते हुए आरबीआई आगे जाकर मौद्रिक नीति को और सख्त करेगा।

बैंकिंग प्रणाली में कमजोरी चिंता का विषय
एड्रियन ने वित्तीय स्थिरता के मोर्चे पर कहा कि भारत में बैंकों और गैर बैंकिंग प्रणालियों में पहले से कुछ कमजोरियां हैं। यह चिंता का विषय है। हमने कुछ समय पहले भारत में जो वित्तीय क्षेत्र आकलन कार्यक्रम किया था, उसमें इन विषयों को उठाया था। इनमें से कुछ मुद्दे भारत में अब भी बने हुए हैं।

भारत का कर्ज-जीडीपी अनुपात 84 फीसदी रहने का अनुमान
भारत का कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुपात में इस साल 84 फीसदी रहने का अनुमान है। यह कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अधिक है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि भारत का कर्ज ऐसा है, जिसको संभालने को लेकर कोई बड़ी समस्या नहीं है।

  • आईएमएफ के उप-निदेशक (राजकोषीय मामले) पॉउलो माउरो ने कहा, भारत के लिए जरूरी है कि उसके पास राजकोषीय मोर्चे पर मध्यम अवधि का लक्ष्य बिल्कुल साफ हो। राजकोषीय स्थिति को स्थिर बनाए रखने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर कई चीजें स्पष्ट नहीं है।

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