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    Madhya Pradesh Assembly Elections 2023: मध्‍यप्रदेश विधानसभा चुनाव की अंतिम मतदाता सूची जारी, पुरूषों के मुकाबले महिला वोटर बढ़े

  • October 08, 2023

    भोपाल (Bhopal)। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 (Madhya Pradesh Assembly Elections) में 18 से 19 साल के 22 लाख 36 हजार 564 मतदाता पहली बार वोट करेंगे। भारत निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव 2023 के लिए मध्यप्रदेश के सभी जिलों की मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन कर दिया. इस मतदाता सूची में 7 जिले ऐसे हैं जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं के मुकाबले ज्यादा है.

    दिलचस्प बात यह है कि इनमें से 6 जिले आदिवासी बहुल हैं और इनमें गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले यानी बीपीएल राशन कार्ड धारियों की बहुलता है. इनमें से झाबुआ-अलीराजपुर और बड़वानी जिलों की साक्षरता दर तो साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों में 40 प्रतिशत से भी कम है. ऐसे में महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ना ना सिर्फ सुकूनभरा है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि अपेक्षाकृत शिक्षित या कम गरीबी वाले जिलों में लिंगानुपात बेहतर इन जिलों के मुकाबले क्यों नहीं है?

    जारी मतदाता सूची में प्रदेश के झाबुआ जिले में पुरुष मतदाता 4 लाख 31 हजार 163 के मुकाबले महिला मतदाता 4 लाख 35 हजार 571 हैं. जबकि झाबुआ जिले की साक्षरता दर 2011 की जनगणना के अनुसार 43.30% है. जबकि झाबुआ का लिंगानुपात 1000 पुरुषों के मुकाबले 990 महिलाओं का है.



    29 सीटों में महिला मतदाताओं ने पुरुष वोटर्स को पछाड़ा
    मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में 29 में महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं को पछाड़ दिया है. इस साल की शुरुआत में कुल 230 सीटों में से 18 पर पुरुष मतदाताओं की तुलना में अधिक महिला मतदाता थीं. लेकिन 10 महीने से भी कम समय में महिला मतदाताओं के प्रभुत्व वाली सीटों का आंकड़ा 61% तक बढ़ गया. दिलचस्प बात यह है कि इनमें भी 29 में से 25 सीटें या तो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं या उनमें आदिवासी वोटर निर्णायक हैं. इन 29 सीटों में, महिलाओं और पुरुषों का लिंगानुपात 1000 से 1044 के बीच है.

    इसी तरह अलीराजपुर जिले की मतदाता सूची में पुरुष मतदाता 2 लाख 81 हजार 16 है जबकि महिला मतदाता 2 लाख 85 हजार 408 है. जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार साक्षरता दर देश में सबसे कम 36.60 प्रतिशत थी लेकिन लिंगानुपात महिलाओं के हक में 1000 पुरुषों के मुकाबले 1011 था.

    इसी तरह बड़वानी की मतदाता सूची में 5 लाख 34 हजार 672 पुरुष मतदाताओं के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या 5 लाख 36 हजार 434 है. जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार साक्षरता दर 39.68 % है और लिंगानुपात 1000 पुरुषों के मुकाबले 982 महिलाओं का है.

    डिंडोरी जिले में पुरुष मतदाता 2 लाख 56 हजार 259 हैं. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 2 लाख 58 हजार 42 है. इस जिले की साक्षरता दर 2011 की जनगणना के अनुसार 63.09 % है और लिंगानुपात 1000 पुरुषों के मुकाबले 1002 महिलाए हैं.

    मंडला जिले में पुरुष मतदाता 3 लाख 91 हजार 471 हैं और महिला मतदाताओं की संख्या 4 लाख 1553 है. 2011 की जनगणना के अनुसार मंडला की साक्षरता दर 68% थी, वहीं लिंगानुपात महिलाओं के पक्ष में 1000 पुरुषों के मुकाबले 1008 था.

    बालाघाट जिले में मतदाता सूची में 6 लाख 66 हजार 908 पुरुष मतदाता हैं जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 78 हजार 470 है. वहीं, 2011 की जनगणना के अनुसार बालाघाट की साक्षरता दर 78.29 % थी. जबकि लिंगानुपात महिलाओं के पक्ष में प्रदेश में सबसे अधिक 1000 पुरुषों के मुकाबले 1021 था.

    इसी तरह रतलाम जिले में जहां 2 विधानसभा सीटें आदिवासी बहुल हैं, इसलिए जिले के मतदाताओं में पुरुष मतदाता 5 लाख 50 हजार 811 हैं. वहीं, महिला मतदाताओं की संख्या 5 लाख 50 हजार 894 है. जबकि साक्षरता दर 68.03 % है और लिंगानुपात 1000 पुरुषों के मुकाबले 973 महिला का है.

    मध्यप्रदेश के इन सात जिलों झाबुआ-अलीराजपुर-बड़वानी-रतलाम-डिंडोरी-बालाघाट-मंडला में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक सामने आई है. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या मतदान में भी यह बढ़ी हुई आधी आबादी पुरुषों को पीछे छोड़ पाएगी?

    इस संबंध में अलीराजपुर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ अभय बेडेकर कहते हैं कि हम स्वीप प्लान के तहत मतदाता जागरूकता अभियान चला रहे हैं और महिलाओं को भी प्रोत्साहित करते हैं.
    कलेक्टर कहते हैं कि हमारे जिले के पुरुष और महिला मतदाताओं का एक हिस्सा पलायन कर गुजरात जाता है. हम विभिन्न प्रयासों से उन्हें मतदान के लिए बुलाने का प्रयास कर रहे हैं. उम्मीद है कि सभी मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

    झाबुआ कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ तन्वी हुड्डा कहती हैं कि स्वीप गतिविधियों के तहत घरेलू और कामकाजी महिलाओं के साथ पुरुषों को भी हम अपने लोकतांत्रिक मताधिकार के उपयोग करने के लिए प्रेरित करते हैं. हम महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं. ईवीएम डेमो प्रजेंटेशन में भी महिलाएं उत्साह के साथ समझने आ रही हैं और उम्मीद करते हैं कि महिला मतदाता बढ़ चढ़कर मताधिकार का उपयोग करेंगी.

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