फिजी के प्रधानमंत्री के साथ समझौते पर हस्ताक्षर के बाद दोनों देशों के बीच वीजा में छूट की राह खुल गई। इस समझौते के तहत दोनों देशों के उन नागरिकों को वीजा लेने में छूट दी जाएगी, जिनके पास डिप्लोमेटिक और काम संबंधी पासपोर्ट है। इससे फिजी जाने वाले भारतीयों की तादाद में इजाफा हो सकता है। यह समझौता दोनों देशों के नागरिकों के बीच पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
समझौते के बाद भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और फिजी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तौर पर बेहद करीबी देश हैं। भारत और फिजी के लोगों का लोगों से संबंध है और दोनों देशों के बीच संबंध काफी पुराने भी हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि जैसे राष्ट्र निर्माण वाले क्षेत्रों में फिजी की मदद करना भारत के लिए खुशी की बात है। भारत ने फिजी के गन्ना उद्योग में काम किया है। अब भारत की ओर से अक्षय ऊर्जा और छोटे और मध्यम उद्योगों को आईटी सपोर्ट मुहैया कराने पर भी विचार किया जा रहा है। फिजी प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील इलाका है और भारत हमेशा फिजी के मुश्किल समय में उसके साथ खड़ा रहा है। कोरोना जैसे समय में भारत ने फिजी की मदद की और वैक्सीन मैत्री के तहत फिजी को एक लाख वैक्सीन की डोज भेजी गई थी।
प्रशांत महासागर क्षेत्र के विकास के लिए भारत के समर्पण की तारीफ करते हुए फिजी के प्रधानमंत्री ने भारत सरकार को सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया। चीन के साथ सहयोग पर फिजी के प्रधानमंत्री ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पास हमारे पुराने दोस्त हैं और हमें नए दोस्तों की जरूरत नहीं है। भारत और चीन के साथ हमारे पुराने संबंध रहे हैं और हम इस साझेदारी को आगे भी जारी रखेंगे।
बाद में भारतीय विदेश मंत्री डॉ.एस जयशंकर ने फिजी के राष्ट्रपति आर. विलियम कटोनिवेरे के साथ फिजी के स्टेट हाउस के सौर ऊर्जाकरण का उद्घाटन किया। इसके तहत प्रमुख आवासों में सौर ऊर्जा प्रवाह सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल सोलर एलायंस का मजबूत सदस्य होने के कारण फिजी इस क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों नेताओं के बीच आपसी संबंधों को बढ़ाने पर बातचीत हुई।एजेंसी(हि.स.)
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