– ललित गर्ग
कोरोना की तीसरी लहर एक बार फिर बड़े संकट का इशारा कर रही है। अमेरिका से भारत तक एवं दुनिया के अन्य देशों में कोरोना के बढ़ते मामले चिंता में डालने लगे हैं, क्योंकि कोरोना की पहली एवं दूसरी लहर में जन-तबाही देखी है। पिछले सप्ताह से भारत में कोरोना संकट तेजी से बढ़ने लगा है। जबकि ठीक होने वालों का दैनिक आंकड़ा बहुत कम है, इसलिये सक्रिय मामलों की संख्या बढ़ने लगी है। इस बीच देश में 15 से 18 साल के किशोरों को कोरोना टीका लगाने की शुरुआत स्वागत योग्य है। लंबे इंतजार के बाद जब किशोरों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू हुआ तो स्वाभाविक ही इसे लेकर उत्साह दिखा।
पहले ही दिन चालीस लाख से अधिक किशोरों ने टीका लगवाया। टीकाकरण शुरू होने से पहले इस उम्र वर्ग के आठ लाख किशोरों ने जिस उत्साह के साथ पंजीकरण कराया है, उससे साफ है कि इस आयु वर्ग के टीकाकरण में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। पहली लहर में देखा गया था कि बच्चों और किशोरों पर कोरोना का बहुत असर नहीं हुआ था। मगर दूसरी लहर में वे भी भारी संख्या में चपेट में आए थे। इसलिए भी तीसरी लहर को लेकर एक भय, डर एवं आशंका का माहौल है, किशोरों के सुरक्षित जीवन के लिये उनका टीकाकरण एक जरूरी एवं उपयोगी कदम है।
देश में इस आयु वर्ग के करीब दस करोड़ किशोरों को वैक्सीन दी जानी है। किशोरों को केवल भारत बायोटेक की कोवैक्सीन ही लगाई जाएगी। किशोरों का दसवीं कक्षा का आईडी कार्ड रजिस्ट्रेशन के लिए पहचान का प्रमाण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर बच्चों-किशोरों को वैक्सीन देने की घोषणा की थी। कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगा चुके वृद्ध लोगों के लिये 10 जनवरी 2022 से बूस्टर डोज लगाने का उपक्रम शुरू करना भी कोरोना को परास्त करने का एक प्रभावी चरण है। प्रारंभ में 60 से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों, स्वास्थ्यकर्मियों व अन्य कोरोना योद्धाओं को बूस्टर डोज लगने की विधिवत शुरुआत हो जाएगी। इससे प्रतीत होता है कि केन्द्र सरकार एवं प्रांत की सरकारें कोरोना को लेकर गंभीर है, जागरूक हैं। लेकिन सरकार की जागरूकता से ज्यादा जरूरी है आम आदमी की जागरूकता और अपनी सुरक्षा के लिए सचेत रहना। किशोरों के टीकाकरण में उत्साह से सहभागी बनने की जरूरत है, बिना किसी भय एवं आशंका के। याद रखें कि पूर्ण रूप से टीकाकरण के बावजूद इजरायल भी चिंता में है और अमेरिका में तो कोरोना की नई लहर आ गई है। भारत को हर तरह से सचेत रहकर कोरोना महामारी से लड़ना है और साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि फिर से लॉकडाउन की नौबत न आने पाए।
दरअसल, टीके की उपलब्धता और किशोरों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों आदि के मद्देनजर सरकार ने इस दिशा में कोई कदम बढ़ाने से खुद को रोक रखा था। व्यापक जांच एवं परीक्षण के बाद अब वे दुविधाएं दूर हो चुकी हैं। हमारे देश में किशोरों की खासी बड़ी आबादी है। उनका टीकाकरण न हो पाने की वजह से स्कूल-कालेज खोलने को लेकर भी रुकावट पैदा हो रही थी। अभिभावक इस बात से सशंकित थे कि बच्चों को स्कूल भेजेंगे तो संक्रमण का खतरा बना रहेगा। ऐसा कई जगहों पर हुआ भी, जब स्कूल-कालेज खोले गए और बच्चे वहां गए, तो बड़ी संख्या में संक्रमित हो गए। फिर स्कूल बंद करने पड़े। पिछले दो साल से स्कूल-कालेज बंद रखने, आंशिक रूप से खोलने या ऑनलाइन पढ़ाई का नतीजा यह हुआ है कि बच्चों के सीखने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ा है। खासकर बोर्ड परीक्षाओं को लेकर फैसला करने में अड़चन आ रही थी।
ऐसे में टीकाकरण अभियान शुरू होने से बच्चे, अभिभावक, स्कूल और बोर्ड परीक्षा संचालित कराने वाली संस्था तक संक्रमण से सुरक्षा को लेकर कुछ आश्वस्त हो सकेंगे। ऐसा इसलिये भी जरूरी है कि बच्चों को देश का भविष्य माना जाता है। बच्चों के उन्नत, स्वस्थ एवं सुरक्षित भविष्य एवं कोरोना के संभावित खतरे को देखते हुए सरकार ने सोच-समझकर कोरोना के विरुद्ध कोई सार्थक वातावरण निर्मित किया है तो यह सराहनीय स्थिति है। ओमीक्रोन की तीव्र संक्रमण दर और बच्चों-किशोरों के भी इसकी चपेट में आने की खबरों ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी थी। स्कूल-कालेज बंद करने और कड़ी पाबंदियों के लौटने से हर कोई चिंतित है। अभिभावक तो पहले ही बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं होने तक उन्हें स्कूल भेजने को तैयार नहीं थे। अब बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू होने से अभिभावकों को चिंता कम होगी, वहीं दूसरी ओर देश की शिक्षण संस्थाओं में स्थिति सामान्य बनाने में भी मदद मिलेगी। बच्चों के टीकाकरण से देशवासियों को नया सबल मिलेगा, स्वास्थ्य-सुरक्षा का वातावरण बनेगा। अभिभावकों को चाहिए कि वे किसी भ्रम में न रहें और बेवजह भयभीत न हों। अभिभावकों को जिम्मेदार व्यवहार दिखाते हुए किशोरों का टीकाकरण कराना चाहिए, इस टीकाकरण के लिये सकारात्मक वातावरण बनाने में सहयोगी बनना चाहिए। इस संबंध में उन्हें कोई लापरवाही नहीं बतरनी चाहिए।
किशोरों के लिए शुरू हुए टीकाकरण अभियान में सरकार ने काफी सूझबूझ से काम लिया है, इस टीकाकरण की एक अच्छी बात यह भी है कि उनके लिए अलग से केंद्र बनाए गए हैं और स्कूलों में भी इसकी सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। स्कूलों को टीकाकरण केन्द्र बनाने से बच्चों को काफी सुविधा हुई है। किशोरों को आगामी बोर्ड परीक्षा को लेकर चिंता है। वे चाहते हैं कि परीक्षाएं शुरू होने से पहले दोनों खुराक ले लें, ताकि प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और वे संक्रमण से बच सकें। इसलिए भी किशोरों में टीकाकरण को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। शुरू में जब टीकाकरण अभियान चला था, तो इसे लेकर तरह-तरह की आशंकाएं जताई गई थीं, जिसके चलते बहुत सारे लोगों के मन में हिचक बनी हुई थी। मगर कोरोना की दूसरी लहर में देखा गया कि जिन लोगों ने टीका लगवाया था, उन पर कोरोना का असर घातक नहीं रहा। इससे भी लोगों में टीकों को लेकर विश्वास पैदा हो गया था। इसलिए भी बहुत सारे अभिभावकों की मांग थी कि किशोरों के लिए भी टीकाकरण अभियान जल्दी शुरू किया जाए।
भारत में कठिन परिस्थितियों में भी देशवासियों ने जिस तरह से कोरोना की दूसरी लहर का सामना किया है वे आज भी तीसरी लहर का सामना करने में सक्षम हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सतत जागरूकता, देशवासियों और कोरोना वारियर्स के लगातार संघर्ष ने हताशा के बीच भी जीवन को आनंदित बनाने का साहस प्रदान किया है, जो समूची दुनिया के लिये प्रेरणा का माध्यम बना है। इस समय पूरी दुनिया कोरोना के अदृश्य नए वैरियंट ओमीक्रोन से जूझ रही है। भारत में भी कोरोना के नए केस तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन भारतीयों के चेहरे पर कोई खौफ नजर नहीं आ रहा। इसका श्रेय देश में सफलतापूर्वक चल रहे टीकाकरण अभियान को जाता है। लेकिन जानबूझकर लापरवाही एवं पाबंदियों एवं बंदिशों की उपेक्षा घातक हो सकती है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत दुनिया में सबसे तेज कोरोना टीकाकरण करने वाला देश है। 30 दिसम्बर तक भारत की 64 फीसदी आबादी को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं और लगभग 90 फीसदी को कोरोना वैक्सीन की एक डोज लग चुकी है। सम्पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य प्राप्त करने में अभी भी लम्बा समय लगेगा। इसी तरह किशोर भी वैक्सीनेशन के बाद सुरक्षित और स्वतंत्र महसूस करेंगे। अभिभावक भी खुद को बच्चों-किशोरों के जीवन के प्रति किसी जोखिम की चिंता से मुक्त हो जाएंगे।
कोरोना आपातकाल में जीवन को सुरक्षित और सहज बनाने के लिए टीका लगवाना जरूरी है। इसलिए जो लोग टीका लगवाने से झिझक रहे हैं, उन्हें भी टीका लगवाना चाहिए। अभिभावक भी बिना किसी खौफ के अपने बच्चों को वैक्सीनेशन केन्द्रों तक ले जाएं तभी संक्रमण का खतरा कम होगा। सामाजिक तौर पर भी हमें जिम्मेदार व्यवहार अपनाना चाहिए और संक्रमण के बचाव के परम्परागत उपायों का पालन करना चाहिए, साथ ही हमें बच्चों को भी यह पालन करना सिखाना होगा। हमें तीसरी लहर का मुकाबला सामूहिक इच्छाशक्ति, संकल्प एवं जिम्मेदारी से करना होगा। अगर हम ऐसा कर गए तो कोरोना वायरस पराजित हो जाएगा। इसलिए हिम्मत से काम लेना होगा।
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