भोपाल। स्वच्छता में इंदौर से प्रेरणा लेकर भोपाल नगर निगम के अफसर हर साल राजधानी का नंबर वन स्वच्छ शहर बनाने का संकल्प लेते हैं, लेकिन उसे धरातल पर नहीं उतार पाते हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि राजधानी आज भी पूरी तरह स्वच्छ नहीं हो पा रही है। संभवत: मई में भोपाल में स्वच्छता का फील्ड सर्वे हो सकता है, लेकिन यहां की स्थिति जस की तस है। 74 बंगला,चार इमली, शिवाजी नगर और श्यामला हिल्स इलाकों में दिन में दो बार सफाई होती है। इनके आसपास के ही इलाकों सेकंड स्टॉप और प्रोफेसर कॉलोनी में कामगार नजर नहीं आते। अरेरा कॉलोनी और शाहपुरा ए,बी,सी सेक्टर सहित अन्य कॉलोनियों में रहवासियों ने अपनी व्यवस्था जमा रखी है, इसलिए वहां सफाई नजर आती है।
नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी का कहना है कि इंदौर की तर्ज पर वार्ड स्तर पर मॉनिटरिंग की व्यवस्था बना रहे हैं। नियत समय पर कर्मचारी और वाहन फील्ड में नहीं मिले तो सख्ती करेंगे। हैंगिंग गार्डन भी हरा-भरा करेंंगे। दरअसल, 276 वर्ग किमी के इंदौर में 7500 सफाई कामगार हैं और सब ड्यूटी पर रहते हैं। डेढ़ गुना बड़े 463 वर्ग किमी के भोपाल में कामगारों की संख्या है 8000 और इसमें से भी आधे भी फील्ड में नजर नहीं आते। नतीजा रोजाना 10 से 15 प्रतिशत घरों से कचरा नहीं उठता और मुख्य बाजारों तक में रोजाना झाड़ू तक नहीं लगती। सफाई कामगारों की इस उपस्थिति का सीधा रिश्ता नगर निगम के भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप से जुड़ा हुआ है।
100 प्रतिशत डोर टू डोर कचरा कलेक्शन नहीं
संभावना जताई जा रही है कि अगले महीने फील्ड सर्वे होगा। लेकिन हकीकत यह है कि 100 प्रतिशत डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के दावे के बावजूद शहर में कई जगहों पर कचरे के ढेर नजर आते हैं। इंदौर ने डोर टू डोर कचरा कलेक्शन और सेग्रीगेशन के सूत्र को अपनाया और 6 साल पहले इंदौर स्वच्छता में देश में नंबर 1 आया था, उसके बाद से लगातार इंदौर ने अपनी पोजीशन बरकरार रखी है। लेकिन यहां के हालात बताते हैं कि भोपाल नंबर 1 तो केवल नारा ही हो सकता है।
शहर से गायब हो गए हैंगिंग गार्डन
2017 में शहर में कई जगहों पर हैंगिंग गार्डन बनाए गए थे। नालों के किनारे या गंदगी वाले स्थानों पर सफाई करके लोहे की फ्रेम लगाकर यहां प्लास्टिक की बॉटल में पौधे लगाकर हैंगिंग गार्डन बने थे। इससे शहर में हरियाली भी बढ़ी थी और इलाका साफ होने के साथ खूबसूरत भी लग रहा था। अब यह गार्डन गायब हो गए।
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