• img-fluid

    प्रदेश में फिर खाद संकट के हालात

  • November 24, 2021

    • रतलाम में किसानों का चक्काजाम, शिवपुरी में 500 में बिक रही बोरी

    भोपाल। प्रदेश में रबी फसल गेंहू और चुना की बुबाई का काम चरम पर हैं। ऐसे में किसानों को यूरिया खाद की सबसे ज्यादा जरूरत है। प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में किसानों को यूरिया खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है। शिवपुरी जिलों में सहकारी संस्थाओं पर खाद का भंडारण नहीं है। निजी विक्रेता यूरिया की एक बोरी की कीमत किसानों से 500 रुपए वसूल रहे हैं। यूरिया संकट को लेकर रतलाम में किसानों ने चक्काजाम एवं प्रदर्शन किया। अन्य जिलों में खाद के लिए किसानों सड़क पर हैं। प्रदेश के डेेढ़ दर्जन से ज्यादा जिलों में खाद संकट है। जिनमें ग्वालियर-चंबल संभाग के शिवपुरी, गुना, अशोकनगर और दतिया जिले में खाद की कमी है। जबकि मालवा-निमाड़ के मंदसौर, नीमच, रतलाम, देवास में भी खाद की कमी है। सीहोर जिले में भी किसान खाद के लिए भटक रहे हैं। अलग-अलग हिस्सों में लोग खाद के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगा रहे हैं।


    जमाखोरी भी सबसे बड़ी वजह
    यूरिया संकट की वजह केवल आयात में कमी नहीं है। देश में भी यूरिया का उत्पादन गिरा है। अप्रैल-जुलाई में यूरिया का उत्पादन घटकर 78.82 लीटर जो एक साल पहले इसी अवधि में 82.18 लीटर था। इसके अलावा सबसे बड़ी वजह यूरिया और डीएपी की कमी की एक मुख्य वजह जमाखोरी भी है। कुछ प्राइवेट दुकानदार ब्लैक में खादी बेच रहे हैं।

    किसानों ने भी बताई वजह
    खाद की किल्लत पर किसानों का कहना है कि जरूरत के मुताबिक खाद नहीं मिल भी रहा है। साथ ही एक किसान को 10 बोरी से अधिक खाद नहीं दिया जा रहा है, जबकि 10 बीघा से अधिक के खातेदार किसानों को प्रति बीघा एक बोरी की आवश्यकता है। वहीं बारिश के पहले जिन किसानों ने खाद लिया था। उनके किताब पर खाद चढ़ गया है. लेकिन अंचल में बारिश के बाद बोई हुई फसल खराब हो गई थी. ऐसे में उन्हें दोबारा खाद की आवश्यकता है, लेकिन अब उन्हें सरकारी सोसाइटी से खाद नहीं मिल पा रहा है. जिससे अन्नदाता परेशान है।

    प्रदेश में बेलगाम हैं जमाखोर
    प्रदेश में खाद संकट के बीच प्रायवेट दुकानों पर खाद मिल रहा है। खाद संकट की वजह से महंगी कीमत वूसली जा रही है। खास बात यह है कि सरकार ने अभी तक जमाखोरों पर कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि ज्यादातर जमाखोरों के खिलाफ लगातार शिकायतें सरकार तक पहुंच रही हैं। जमाखोरों केा मिल रहे सरकारी संरक्षण की वजह से प्रदेश में खाद का संकट गहराया है और किसानों को ऊंची कीमत पर खाद दिया जा रहा है।

    खाद संकट मीडिया की देन: कृषि मंत्री
    प्रदेश में खाद्य संकट को लेकर राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल सिर्फ मीडिया को जिम्मेदार मानते हैं। उन्होंने पिछले दिनों खाद संकट के सवाल के जवाब में कहा कि मीडिया ऐसी खबरें चलाता है तो खाद का संकट होने लगता है। किसान ज्यादा संख्या में खरीददारी करने पहुंचते हैं और मार्केंट में कमी दिखाई जाती है।

     

     

    Share:

    बजट की तैयारी शुरू : नई योजनाओं को वित्त विभाग देगा अंतिम रूप

    Wed Nov 24 , 2021
    विभागों को चार दिसंबर तक वित्त विभाग को भेजने पड़ेंगे प्रस्ताव महंगाई भत्ता वेतन के लिए प्रस्तावित राशि का 32 प्रतिशत रखा जाएगा भोपाल। फरवरी-मार्च 2022 में मध्य प्रदेश का वर्ष 2022-23 के लिए विधानसभा में बजट प्रस्तुत होगा। वित्त विभाग ने इसकी तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। सभी विभागों से चार दिसंबर तक नई […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    मंगलवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved