नई दिल्ली । एक्टर, खलनायक, डायरेक्टर से लेकर बेहतरीन स्टाइल आइकन तक फिरोज खान (Icon Tak Firoz Khan )एक ऐसी शख्सियत (Personality )का नाम था जो फिल्मों (movies)की कई विधाओं में माहिर थे. स्टाइल तो ऐसा कि आज तक उनका मुकाबला (competition)कोई नहीं कर पाया. उन्हें आज भी स्टाइल आइकन कहा जाता है. फिरोज खान ने बॉलीवुड में हीरो तरह शुरुआत की और छा गए लेकिन बाद के दिनों में जब वो विलेन के रोल में सामने आए तो खलनायकी में भी जान डाल दी.
अभिनेता फिरोज खान का जन्म 25 सितंबर को 1939 को बंगलुरु के पठान परिवार में हुआ. उनके पिता अफगान मूल के थे और मां ईरानी थी. एक्टिंग के जुनून को पूरा करने के लिए फिरोज खान ने मुंबई की ओर रुख किया और कुछ सालों में ही छा गए. फिरोज खान का नाम सुनते ही आंखों के सामने एक समार्ट चेहरा, लंबे चौड़े, सूट-बूट, सिर पर हैट और जैकेट पहनने वाले हैंडसम से शख्स का चेहरा नजर आता है. उनके इस राजसी अंदाज ने सालों तक बॉलीवुड पर राज किया.
फिरोज खान ने साल 1960 में फिल्म ‘दीदी’ से फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया. शुरुआती दौर में उन्होंने बतौर अभिनेता एक्टिंग करना शुरू कर दिया लेकिन 70 के दशक में तो जैसे उनकी किस्मत ही पलट गई. इस दौरान उनकी कई ऐसी फिल्में आईं जिसके बाद उन्होंने अपनी अलग ही पहचान बना ली. 1969 में आई फिल्म ‘आदमी और इंसान’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला. इसके बाद तो उन्होंने ‘मेला’, ‘धर्मात्मा’ जैसी कई सुपरहिट फिल्में की और डायरेक्शन की ओर रुख कर लिया.
1980 में आई फिल्म कुर्बानी उनकी सबसे सफल फिल्म रही. इसके साथ ही उन्होने डायरेक्शन में भी अपना परचम फहरा दिया. करियर के अंतिम पड़ाव में उन्होंने खलनायक के किरदार भी निभाए. फिल्म वेलकम में वो सिकंदर नाम के विलेन के रोल में दिखाई दिए, जिसमें उन्होंने लोगों को डराने के साथ खूब हंसाया भी. 27 अप्रैल 2009 को फिरोज खान का लंग्स कैसर जैसी बीमारी से निधन हो गया. उन्होंने बंगलुरु स्थित अपने फॉर्महाउस में अंतिम सांस ली.
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