बेंगलुरु: एक वीडियो कुछ दिन से सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला यात्री बस में कंडक्टर के टोपी पहनने पर आपत्ति जताती नजर आ रही है. वह इसे लेकर सवाल कर रही है. इतना ही नहीं उसने कंडक्टर को टोपी उतारने के लिए मजबूर कर दिया. वीडियो को लेर दावा किया गया है कि यह बस कंडक्टर मुस्लिम है.
घटना बेंगलुरु मेट्रपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की बस की है. महिला पैसेंजर ने ड्यूटी पर कंडक्टर के टोपी पहनने पर ऐतराज जताते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते आपको घर पर अपने धर्म का पालन करना चाहिए न कि ड्यूटी पर. हालांकि, कर्नाटक के रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की तरफ से कहा गया कि ड्यूटी पर टोपी पहनने, माला पहनने या तिलक लगाने को लेकर कोई सख्त नियम या इसके खिलाफ कोई कानून नहीं है.
द न्यूज मिनट ने कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की चीफ पब्लिक रिलेशन ऑफिसर टीएस लता के बयान का हवाला देते हुए कहा कि धर्म को लेकर कोई तय नियम नहीं है. उन्होंने कहा कि दशकों पहले बस ड्राइवर और कंडक्टरों को लेकर आचार संहिता लागू की गई थी और तब से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि किसी को भी अपने धर्म से संबंधित कुछ भी पहनने से रोकेन के लिए कोई नियम नहीं है. उन्होंने यह भी साफ किया कि नियम में इसकी वकालत भी नहीं की गई है.
वायरल वीडियो में कंडक्टर ने हरे रंग की टोपी पहनी है, जिसे लेकर महिला लगातार सवाल उठा रही है. महिला ने कंडक्टर से बहस करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते उन्होंने टोपी क्यों पहनी है और उन्हें अपने घर पर धर्म का पालन करना चाहिए. इस दौरान, कंडक्टर कहने की कोशिश करता है कि वह कई सालों से टोपी पहन रहा है, लेकिन महिला ने एक नहीं सुनी. कंडक्टर को टोपी उतारने के लिए मजबूर किया गया और इसकी शिकयत करने की धमकी भी दी. इसके बाद कंडक्टर अपनी टोपी उतार देता है.
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