नई दिल्ली। एडमिन वर्कर (admin worker) के तौर पर काम कर रही महिला (Woman) ने अपनी फीमेल बॉस (female boss) को बताया कि वह प्रेग्नेंट (Pregnant) हैं, यह बात सुनते ही कंपनी ने उन्हें तुरंत नौकरी (fired from the job) से निकाल दिया. महिला को इंप्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल (employment tribunal) की ओर से इस मामले में 15 लाख रुपए का मुआवजा मिला है.
34 साल की चार्लोट लीच ब्रिटेन के एसेक्स में मौजूद सिक्योरिटी सिस्टम सप्लायर कंपनी CIS Services में 2021 मई से 20 लाख रुपए के सालाना पैकेज पर कार्यरत थीं. लेकिन, इस कंपनी ने उनके प्रेग्नेंट होने के बाद जबरन नौकरी से निकाल दिया। चार्लोट ने अपनी प्रेग्नेंसी की जानकारी कंपनी के हेड ऑफ कंप्लाइंस निकोला काल्डर को दी थी. चार्लोट ने निकोला से कहा कि उन्हें पूर्व में कई बार मिसकैरिज हो चुके हैं, ऐसे में वह अपने अजन्मे बच्चे को लेकर बेहद चिंतित हैं।
प्रेग्नेंसी में शराब का एक पेग भी खतरनाक, रुक सकती है बच्चे की ब्रेन ग्रोथ
चार्लोट की बातों को सुनकर निकोला ने कोई आश्वासन नहीं दिया. दावा है कि निकोला ने चार्लोट से कहा कि वह मैटरनिटी लीव लेने के लिए अर्हता नहीं रखती हैं. इसके बाद चार्लोट को नौकरी से निकाल दिया गया. चार्लोट ने कहा जॉब ना होने के दबाव में ही उन्हें अपना बच्चा गंवाना पड़ा. चार्लोट का आठवीं बार मिसकैरिज हुआ. चार्लोट का अपने पार्टनर से भी 6 साल के रिलेशन के बाद अलगाव हो गया.
इस भेदभाव के बाद ही चार्लोट ने इंप्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल में गुहार लगाई और कंपनी के खिलाफ केस ठोंक दिया. ट्रिब्यूनल ने कंपनी के रवैये को भेदभावूपूर्ण माना, नतीजतन चार्लोट को 15 लाख रुपए का मुआवजा मिल गया। चार्लोट ने ट्रिब्यूनल के फैसले पर कहा कि नौकरी जाने के बाद वह वह बुरी तरह से परेशान हो गई थीं. उनकी पूरी जिंदगी उथल-पुथल हो गई. नौकरी जाने के बाद उन्हें पैनिक अटैक आते थे।
कंपनी की बॉस ने दी सफाई
इस मामले में काल्डन ने भी ट्रिब्यूनल के समक्ष अपनी सफाई दी, काल्डर ने कहा कि चार्लोट ने कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं किया था इस कारण वह मैटरनिटी लीव लेने के योग्य नहीं थीं. इसके बाद ही उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया था. वहीं, काल्डर ने कथित तौर पर यह आरोप भी लगाया कि चार्लोट तो पहले से ही नौकरी छोड़ने का मन बना चुकी थीं. इस बात का इशारा उन्होंने एक मीटिंग के दौरान किया था.
कंपनी के डायरेक्टर को भेजा था ईमेल
चार्लोट ने कहा कि जब उनसे नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया तो उन्होंने अपनी बॉस काल्डर और कंपनी के डायरेक्टर क्रिस क्लार्क को ईमेल भेजा. ईमेल में उन्होंने लिखा कि कंपनी के फैसले से उन्हें तकलीफ हुई है और वह वित्तीय संकट में आ गई हैं. ऐसा लग रहा है कि वह और उनका बच्चा कंपनी के लायक नहीं है. चार्लोट ने आगे लिखा कि उनका दिल टूट गया है, वह इस बात से बेहद दुखी हैं कि उन्हें कंपनी के HR और और डायरेक्टर की ओर से भी कोई सहयोग नहीं मिला।
जज ने कही ये बात…
इंप्लॉयमेंट जज कैरोल पोर्टर ने कहा कि चार्लोट ने अपनी बॉस काल्डर से इमोशनली होकर बात की, लेकिन बॉस ने इस बात का फायदा उठाया और उन्हें नौकरी से टर्मिनेट कर दिया। ब्रिटेन के एसेक्स में में रहने वाली भुक्तभोगी चार्लोट ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस फैसले के बाद महिलाएं प्रेग्नेंसी के बाद होने वाले भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाएंगी. महिलाएं उनके केस का अब हवाला दे सकती हैं।
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