नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली (Delhi) में गुरुवार को ऑस्ट्रेलियाई, यूएस और कनाडा दूतावास के बाहर (Outside various embassies) कई अफगान नागरिक (Afghan citizens) इकट्ठा हो गए (Gathered) ।
अफगान नागरिकों के मुताबिक उन्हें इन तीन दूतावासों द्वारा शरणार्थियों के रूप में स्वीकार करने और वीजा देने का भरोसा दिया गया है। इस मामले पर बात करते हुए एक अफगान नागरिक मुस्कान ने बताया,इनके द्वारा हमारे पास एक संदेश आया था, कि आप दूतावास आ जाएँ, आप सभी को एक फॉर्म मिलेगा, वहीं जितने दिल्ली में अफगान नागरिक है, हम उनको सहयोग करेंगे।
मुस्कान ने कहा, उनके द्वारा अभी कोई बात नहीं कि गई है, बस यह कह दिया गया है कि आपको एक लिंक मिलेगा, जिसमें आप अपनी जानकारी साझा करें। दरअसल मुस्कान बीते कुछ सालों से दिल्ली में रहे रहीं है और हाल ही में अपनी पढ़ाई पूरी की है।
एक अन्य अफगान नागरिक साहिल ने आईएएनएस को बताया, हम लोगों को दूतावास की ओर से बोला गया कि हम वीजा देंगे, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। हम सभी लोगों के लिए दिल्ली में पढ़ाई बन्द है। इसके अलावा घर का किराया भी बहुत ज्यादा है। साहिल ने कहा, यदि हमारे मकान मालिक को पता लग जाये कि हम अफगानी है तो हमारे लिए घर का किराया और बढ़ा दिया जाता है। फिलहाल एक दुकान पर काम कर रहा हूं लेकिन सिर्फ 4 हजार रुपये महीना दिया जाता है और 12 घंटे काम कराते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, दूतावास अधिकारियों ने कुछ अफगान नागरिकों से बात की है और उनको अपनी जनकारी देने की बात भी कही गई है।
अफगान नागरिक रुक्सार ने बताया, हमारे अंदर अफगान को लेकर बहुत गम है। हम अमरीका दूतावास में आये है, हमें मदद चाहिए। हम गुजारिश कर रहे हैं, इन सभी दूतावासों से । रुक्सार ने कहा, हम भी इंसान है, हमें मदद की जरूरत है। अफगानी नागरिकों को देख मेरे दिल में दुख है। मैं मजबूर हूं, करीब 10 साल से यहां रह रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, हम भारत सरकार को शुक्रिया कहेंगे, हमको जगह दी रहने के लिए। हालात बेहद खराब हो रहे हैं। हमारा रहना मुश्किल हो जाएगा। यहां काम मिलने में दिक्कत आएगी। हालांकि दुतावास के बाहर कुछ अफगान महिलाएं रोती बिलखती नजर आईं। किसी के भाई तो किसी के बच्चे अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं।
जानकारी के अनुसार, अफगान नागरिकों को पहले यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त) को एक ईमेल भेजना होगा जो इन्हें वीजा के लिए दूतावास के पास भेजेगा। हालांकि, अफगान नागरिकों का आरोप है कि यूएनएचसीआर कार्यालय कोई जवाब नहीं देता।
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