रांची । मॉनसून की बेरुखी से (Due to Indifference of Monsoon) झारखंड में (In Jharkhand) एक बार फिर (Once Again) सूखे की आशंका (Fear of Drought) गहराने लगी है (Is Getting Deeper) । राज्य में अब तक औसत मॉनूसन की तुलना में 46.50 फीसदी कम बारिश हुई है। कई जिलों और इलाकों में तो खरीफ फसल की बुआई भी शुरू नहीं हुई है। खेतों में दरारें जैसे-जैसे बढ़ रही हैं, किसानों की उम्मीदें भी भरभराने लगी हैं।
चतरा और धनबाद जिले में सबसे कम बारिश हुई है। चतरा में अब तक मात्र 71.2 और धनबाद में 86.9 एमएम बारिश हुई है, जो औसत से तकरीबन 75 फीसदी कम है। हजारीबाग, रामगढ़, पलामू, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, गिरिडीह, बोकारो, जामताड़ा, देवघर, रांची आदि जिलों में भी 40 से 45 फीसदी कम बारिश ने चिंता बढ़ा दी है। राज्य में अब तक सबसे ज्यादा बारिश साहिबगंज जिले में 471 एमएम रिकॉर्ड की गई है, जो औसत से 15 फीसदी ज्यादा है।
सरकार के पास जो रिपोर्ट है, उसके मुताबिक अब तक पूरे राज्य में मात्र दस फीसदी बुआई हुई है। इस वर्ष राज्य में कुल 28 लाख 27 हजार 469 हेक्टेयर में खरीफ की फसल लगाने का लक्ष्य तय किया गया है, जबकि आज की तारीख तक मात्र दो लाख 66 हजार 828 हेक्टेयर में ही बुआई हो सकी है।
मौसम विभाग की मानें तो 16 जुलाई से राज्य के ज्यादातर जिलों में बारिश शुरू होने के आसार हैं। वैसे इसके पहले भी मौसम विभाग ने अच्छी बारिश की भविष्यवाणी की थी। लेकिन, छिटपुट फुहारों से किसी तरह धरती ही भीग पाई है। खेत इस तरह तैयार नहीं हुए हैं कि बुआई की जा सके।
राज्य के कृषि निदेशक चंदन कुमार का कहना है कि औसत से कम बारिश की वजह से अब धान के बजाय वैकल्पिक फसलें लगवाने पर विचार किया जा रहा है। सरकार सूखे की आशंका को देखते हुए इससे निपटने के उपायों में जुट गई है। विभाग राष्ट्रीय बीज निगम से ऐसी फसलों के बीजों की खरीदारी की तैयारी कर रहा है, जिसकी उपज कम बारिश में भी हो सके। मक्का, रागी और अन्य मोटे अनाजों के बीज किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे।
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