- परिजनों को लगता ही नहीं कि उनका अपना कोई सगा बेटा नहीं, बेटियों को ही मानते अपना बेटा
महिदपुर रोड। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की जिन परिवारों के यहाँ महज बेटियों ही हैं वे अपने आप को बड़ा गौरवांवित महसूस करते हुए गर्व के साथ रहते हैं कि उनकी बेटियां उनके लिये बेटों से भी बढ़कर है। नगर में ऑटो पार्ट्स का व्यापार करने वाले राकेश सेठिया की दो बेटियाँ चंचल तथा तुलसी सेठिया हैं, जो उच्च शिक्षित होकर न केवल अपने पिता की दुकान पर बैठकर उनकी अनुपस्थिति में दुकान में उपलब्ध सारा सामान दुकान पर आने वाले ग्राहकों को उपलब्ध करवाती हैं।
बल्कि अपने अंकल सुनील सेठिया की किराने की दुकान पर भी अपने अंकल के भोजन करने जाने अथवा कहीं बाहर जाने के दिन पूरे दिन दुकान पर बैठ कर दुकान पर किराना सामान लेने आने वाले ग्राहकों को उनके द्वारा डिमांड किये गये सामान को पेमेंट प्राप्त कर उपलब्ध कराती हैं। दूध डेयरी संचालक अनिल मिनावदा की कक्षा में चौथी में अध्ययनरत बिटिया सुबह-शाम स्कूल का होमवर्क करने के बाद समय निकालकर अपने पापा की दुकान पर बैठकर अपने पापा के काम में हाथ बंटा कर कंप्यूटर से बिल तैयार करती हैं। टूर एंड ट्रेवल्स के संचालक सुनील कारा तथा शिक्षिका मोनिका पोरवाल की बेटी सलोनी सीए है, वहीं छोटी बेटी लक्षिता इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है वे जब भी यहाँ आती हैं तब खुद ड्राइविंग करते हुए अपनी मम्मी को नगर से 10 किमी दूर स्थित दूर उनके शासकीय स्कूल छोडऩे तथा लेने जाती है।