इस्लामाबाद। फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स के हालिया फैसले को लेकर पाकिस्तान में इमरान खान सरकार और विपक्ष के बीच जुबानी जंग जारी है। विपक्षी पार्टियां इमरान खान पर विदेशी मोर्चे पर फेल होने का आरोप लगा रही हैं, वहीं सरकार इसे अपनी जीत के रूप में प्रस्तुत कर रही है। दो दिन पहले ही एफएटीएफ ने आतंकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई से नाराजगी जताते हुए उसे फरवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट में ही बने रहने का फैसला सुनाया है।
पाकिस्तान की विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बने रहने को सरकार की विफलता करार दिया है। पार्टी ने इस मामले को लेकर इमरान खान सरकार से स्पष्टीकरण देने की भी मांग की है। वहीं पाकिस्तानी सरकार चार महीने तक ग्रे लिस्ट में बने रहने के आम सहमति वाले फैसले को अपनी डिप्लोमेटिक जीत बताया है।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने आरोप लगाया है कि एफएटीएफ का निर्णय लापरवाही और स्पष्ट रूप से कानूनी मसौदा तैयार करने होमवर्क की कमी का परिणाम था। पाकिस्तानी सीनेट में पीपीपी संसदीय नेता शेरी रहमान ने सवाल पूछा कि सरकारी अधिकारियों ने अपना होमवर्क समय पर क्यों नहीं किया? उन्होंने कहा कि एफएटीएफ के अंदरूनी सूत्रों की खबर यह है कि कानून का मसौदा तैयार करने में स्पष्ट रूप से लावरवाही की गई थी।
शेरी रहमान ने सरकार पर बरसते हुए कहा कि अधिकारियों ने अच्छे समय में सब कुछ क्यों नहीं देखा? वे लगातार विपक्ष विरोधी आंदोलन को दबाने में व्यस्त थे और यही उनका एकमात्र कार्य प्रतीत होता है। उसने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार ने एफएटीएफ के वास्तविक कार्यों को पूरा नहीं किया था और आधे से ज्यादा एक्सरसाइज का उपयोग विपक्ष को टारगेट करने के लिए कानूनों को पारित करने में किया गया था।
उद्योग और उत्पादन मंत्री हम्माद अजहर ने पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बने रहने पर बधाई वाला ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि इस परिणाम को सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों ने महामारी के दौरान भी दिन और रात काम किया था। यह वही मंत्री हैं जिन्होंने एफएटीएफ के वर्चुअल प्लेनरी में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। इस पर भी विपक्षी पार्टियां हमलावर हैं। शेरी रहमान ने कहा कि जब हमारा देश अभी भी ग्रे लिस्ट में हैं, तो मंत्रियों को बधाई देते हुए देखना चौंकाने वाला है।
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