इस्लामाबाद। पाकिस्तान की संसद(parliament of pakistan) ने वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था एफएटीएफ (FATF, the global financial watchdog) द्वारा रखी गई शर्तों को पूरा करने की कोशिशों के तहत अंतरराष्ट्रीय अपराध के मामलों में कानूनी मदद उपलब्ध कराने के संबंध में एक विधेयक पारित(bill passed) किया है। विपक्ष के विरोध के बीच ऊपरी सदन (सीनेट) ने परस्पर कानूनी सहायता (आपराधिक मामले) संशोधन विधेयक (Legal Aid (Criminal Affairs) Amendment Bill)पारित कर दिया।
बता दें कि जून, 2018 में पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) द्वारा पाक को ‘ग्रे’ सूची में रखा गया और उसे अक्तूबर 2019 तक कदम उठाने के लिए कार्ययोजना सौंपी गई। लेकिन एफएटीएफ द्वारा बताए गए उपायों को लागू नहीं करने के कारण पाकिस्तान तभी से ग्रे सूची में बना हुआ है।
विपक्षी विरोध को अनसुना किया
विपक्षी दलों ने यह कहते हुए इस विधेयक को रोकने की कोशिश की कि इससे सरकार को आरोपों के आधार पर पाकिस्तानी नागरिकों को अन्य देशों को सौंपने की अबाध शक्ति मिल जाएगी। इसे अनसुना कर बिल को बहुमत से पारित कर दिया गया। सीनेटर अहमद ने इसे देश के संसदीय इतिहास में काला दिन बताते हुए कहा कि सरकार किसी व्यक्ति को बिना नोटिस जारी किए कानून के तहत धनशोधन आदि के माध्यम से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त करके उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है और यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
पाकिस्तान के लिए बढ़ रही मुश्किलें
‘ग्रे’ सूची में बने रहने से पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद लेना मुश्किल होता जा रहा है। इस कारण पहले से आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान की माली हालत और खराब होती जा रही है।
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