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सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था

August 02, 2021

– प्रह्लाद सबनानी

कोरोना महामारी के कारण उत्पादों की दबी हुई मांग में पुनः संचार दिखाई दे रहा है। केंद्र सरकार द्वारा विवेकाधीन खर्च में बढ़ोतरी की जा रही है। साथ ही देश में अब तेजी से चल रहे कोरोना के टीकाकरण से भी देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर हालांकि देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा तो है परंतु यह बहुत कम ही रहेगा। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में आर्थिक समीक्षा के अनुरूप भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 11 प्रतिशत ही रहने की सम्भावना है। इस प्रकार यह वृद्धि दर विश्व की समस्त बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में प्रथम स्थान पर रहेगी।

विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत का पुनः शामिल हो जाना, महज इत्तेफाक नहीं है बल्कि इसके लिए केंद्र सरकार ने व्यवस्थित तरीके से कई प्रयास किए हैं। विभिन्न क्षेत्रों- विशेष रूप से कृषि एवं श्रम कानूनों में हाल ही में लागू किए गए संरचनात्मक सुधारों एवं आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के चलते यह सम्भव होता दिख रहा है। भारत में कोरोना महामारी के दौरान संरचनात्मक सुधारों के जरिए विभिन्न आपूर्ति पक्ष सम्बंधी परेशानियों को सफलतापूर्वक दूर किया गया है। इस प्रकार आगे आने वाले समय में आर्थिक वृद्धि दर पर मुद्रास्फीति का प्रभाव भी कम ही रहने की सम्भावना है। माह जनवरी 2021 में जारी की गई आर्थिक समीक्षा में अनुमान लगाया गया था कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 11 प्रतिशत की रहेगी, जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी के कारण यह ऋणात्मक 7.3 प्रतिशत की रही थी। इस प्रकार तो कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रभाव देश की आर्थिक वृद्धि दर पर लगभग शून्य ही रहने वाला है। हालांकि उस समय पर आर्थिक समीक्षा में यह भी बताया गया था कि आर्थिक वृद्धि को आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को लागू करने एवं नियमों में ढील दिए जाने एवं आपूर्ति पक्ष को समर्थन देकर विकास दर को तेज करने में मदद मिलेगी।

अब आगे आने वाले समय में तो केंद्र सरकार ने आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को लागू करने का बीड़ा ही उठा लिया है एवं बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में निवेश को बढ़ाया जा रहा है। वित्त मंत्री ने विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों से अपनी पूंजीगत खर्च योजना का व्यय शीघ्रता से प्रारम्भ करने का आह्वान किया है। इस प्रकार, बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में पूंजीगत खर्च को बढ़ाया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में 5.54 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्च का प्रावधान किया गया है, जो वित्तीय वर्ष 2020-21 में किए गए पूंजीगत खर्च से 34.5 प्रतिशत अधिक है। बड़े आकार के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए निर्धारित पूंजीगत ख़र्चे के बजट का 16 प्रतिशत भाग वित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही, अप्रैल-जून 2021 में 93,000 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं। जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में मात्र 7 प्रतिशत राशि ही खर्च की जा सकी थी। विनिर्माण के क्षेत्र में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना को तेजी के साथ लागू किया जा रहा है। कोरोना महामारी के कारण उत्पादों की दबी हुई मांग में पुनः संचार दिखाई दे रहा है। केंद्र सरकार द्वारा विवेकाधीन खर्च में बढ़ोतरी की जा रही है। साथ ही देश में अब तेजी से चल रहे कोरोना के टीकाकरण से भी देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

केंद्र सरकार द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयासों के चलते बेरोजगारी की दर में भी अब कमी देखी गई है। सीएमआईई (CMIE) इंडिया बेरोजगारी दर जो कोरोना महामारी के दूसरे दौर के बाद 9.4 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी वह अब नीचे गिरकर 8.7 प्रतिशत के स्तर पर आ गई है। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर 10.3 प्रतिशत की तुलना में अब यह 9 प्रतिशत पर नीचे आ गई है। जबकि ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की दर 8.9 प्रतिशत के उच्चतम स्तर से गिरकर अब 8.6 प्रतिशत पर आ गई है। साथ ही ईपीएफओ (EPFO) में नए अभिदाताओं की संख्या भी मई 2021 माह के 11.20 लाख से बढ़कर जून 2021 माह में 12.8 लाख हो गई है जोकि जून 2021 माह में 14 प्रतिशत से बढ़ी है। इसी प्रकार बैंकों द्वारा प्रदान किए जा रहे ऋणों में भी 4 जून 2021 को समाप्त अवधि के दौरान 9900 करोड़ रुपए की वृधि दृष्टिगोचर हुई है। इस वर्ष रोजगार के नए अवसरों के समावेशी रहने की भी प्रबल सम्भावना है क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान गरीब तबके के रोजगार छिन गए थे।

तिरुपुर, जो देश का सबसे बड़ा वस्त्र उत्पादन केंद्र है, में कुल श्रमिकों की क्षमता के मात्र 60 प्रतिशत श्रमिक ही उपलब्ध हो पा रहे हैं। इसी प्रकार सूरत में जहां रत्न एवं आभूषण निर्माण की 6,000 इकाईयां कार्यरत हैं एवं जहां 400,000 से अधिक बाहरी श्रमिक कार्य करते हैं, में भी 40 प्रतिशत श्रमिक अभी भी काम पर नहीं लौटे हैं। चेन्नई के चमड़ा उद्योग में भी 20 प्रतिशत कम श्रमिकों से काम चलाया जा रहा है। देश में दरअसल उद्योगों में तो पूरे तौर पर उत्पादन कार्य प्रारम्भ हो चुका है परंतु श्रमिक अभी भी अपने गांवों से वापस इन उद्योगों में काम पर नहीं लौटे हैं। इस प्रकार रोजगार के अवसर तो उपलब्ध हैं परंतु श्रमिक उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।

भारत से उत्पादों के निर्यात में भी लगातार सुधार दृष्टिगोचर है एवं यह जून 2021 में लगातार चौथे माह 3,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक का रहा है। देश से निर्यात किए जाने वाले 30 क्षेत्रों में से 25 क्षेत्रों में वृद्धि दृष्टिगोचर है। विशेष रूप से वस्त्र उद्योग, चमड़ा उद्योग, रत्न एवं आभूषण उद्योग तथा कृषि क्षेत्र से भी निर्यात लगातार बढ़ रहा है। यह सभी क्षेत्र रोजगार आधारित हैं। अतः देश में रोजगार के अधिक से अधिक नए अवसर निर्मित हो रहे हैं। साथ ही इंजीनीयरिंग उद्योग, पेट्रोलियम उत्पाद, कैमिकल आदि उद्योगों से भी निर्यात में आकर्षक वृद्धि देखने में आ रही है। इसके कारण देश में विदेशी मुद्रा भंडार भी नित नए ऊँचे स्तर को छू रहा है। दिनांक 9 जुलाई 2021 को यह लगभग 61,200 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को छू गया है।

जून 2021 में तो भारत से उत्पादों के निर्यात में 48 प्रतिशत की वृद्धि एवं आयात में 98 प्रतिशत की वृद्धि देखने में आई है इसका आशय यह है कि देश में आर्थिक गतिविधियां पूर्णतः कोरोना महामारी के पूर्व के स्तर को पार कर चुकी हैं। जून 2021 माह में देश से 3,250 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निर्यात दर्ज किए गए हैं जो जून 2019 से भी 30 प्रतिशत अधिक हैं।

जुलाई 2021 में वस्तुओं के एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने के लिए जारी किए जाने वाले ई-वे बिल की मात्रा में भी तेज गति से वृद्धि देखने में आ रही है जो कि देश में आर्थिक गतिविधियों के शिखर पर आने का संकेत है। यह जुलाई 2021 के प्रथम 11 दिनों में औसत प्रतिदिन 19.24 लाख ई-वे बिल की संख्या तक पहुंच गया है तथा यह मई 2021 के प्रतिदिन औसत से 49 प्रतिशत अधिक एवं जून 2021 के प्रतिदिन औसत से 5.6 प्रतिशत अधिक है।

केंद्र सरकार के शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण में भी अब सुधार देखने में आ रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून 2021) में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण 92 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 2,43,408 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। यह देश में आर्थिक गतिविधियों के उच्चतम स्तर को प्राप्त करने, नियमों के व्यवस्थित अनुपालन एवं कम धन वापसी के कारण सम्भव हो सका है। प्रथम तिमाही में किया गया प्रत्यक्ष कर संग्रहण पूरे वर्ष के निर्धारित किए गए लक्ष्य 11.08 लाख करोड़ रुपए का 22 प्रतिशत है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त उप-महाप्रबंधक हैं)

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