नई दिल्ली । आज यानी कि सोमवार से पूरे देश में फास्टैग अनिवार्य (Fastag compulsory) हो गया है. परिवहन मंत्रालय के आदेश के मुताबिक टू-व्हीलर को छोड़कर सभी वाहनों में 15 फरवरी से फास्टैग लगाना अनिवार्य होगा. 15 फरवरी से बिना फास्टैग लगे वाहनों को टोल प्लाजा पर दोगुना टोल टैक्स या (double rupees) जुर्माना देना होगा. फास्टैग लगे वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी.
दरअसल, 15 फरवरी से सभी वाहनों के लिए फास्टैग (FASTag) जरूरी कर दिया गया है. अब सरकार की तैयारी है कि 15 फरवरी से 100 फीसदी टोल फास्टैग की मदद से ही कलेक्ट किया जा सके. फिलहाल नेशनल हाईवे से जितने भी टोल टैक्स आते हैं, उनमें 80 फीसदी टोल फास्टैग की मदद से आते हैं.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है, फास्टैग से टोल वसूली लागू करने की समय सीमा आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। बिना फास्टैग वाले या निष्क्रिय फास्टैग वाले वाहनों से जुर्माने के तौर पर दोगुना टोल वसूला जाएगा। वाहन चालकों को तत्काल ई-पेमेंट सुविधा का उपयोग शुरू कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा, बहुत सारे रास्तों पर 90 फीसदी तक फास्टैग पंजीकरण हो चुका है। फास्टैग सभी टोल नाकों पर उपलब्ध है और लोगों को इसे खरीदना चाहिए ताकि वे बिना रुकावट वाले यातायात का मजा ले सकें। केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने भी रविवार को कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर सोमवार-मंगलवार की मध्यरात्रि से सभी टोल बूथों को सौ फीसदी फास्टैग लेन कर दिया जाएगा। फास्टैग से टोल वसूली को 2016 में लागू किया गया था।
इसके बाद विभिन्न चरणों से गुजरते हुए एक दिसंबर, 2019 से सभी वाहनों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया था। लेकिन तब से यह समयसीमा बार-बार बढ़ती रही थी। इस बार केंद्र सरकार ने पहले एक जनवरी से फास्टैग को अनिवार्य करने की घोषणा की थी। बाद में इसे बढ़ाकर 15 फरवरी कर दिया गया था। इसके चलते बहुत सारे लोग अब भी इस समयसीमा के आगे बढ़ने की उम्मीद लगा रहे थे।
बतादें कि फास्टैग एक स्टीकर होता है जो वाहनों के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है. टोल पर क्रॉसिंग के दौरान डिवाइस रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी की मदद से टोल प्लाजा पर लगे स्कैनर से कनेक्ट होता है और फिर फास्टैग से जुड़े अकाउंट से पैसे कट जाते हैं. जिससे टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होती है. आप NHAI टोल या फिर तमाम बैंकों से आप फास्टैग स्टिकर खरीद सकते हैं. इसके अलावा यह पेटीएम, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं. इसे आप यूपीआई, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड से भी रिचार्ज कर सकते हैं. अगर फास्टैग बैंक खाते से लिंक होता है, तो पैसे खाते से ऑटोमैटिक कट जाते हैं.
ड्राइवर के लाइसेंस और वाहन के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की कॉपी जमा करके फास्टैग खरीदा जा सकता है. बैंक केवाईसी के लिए यूजर्स के पैन कार्ड और आधार कार्ड की कॉपी भी मांगते हैं. नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने फास्टैग की कीमत 100 रुपये तय की है. इसके अलावा 200 रुपये की सिक्युरिटी डिपॉजिट देनी पड़ती है. फास्टैग प्रणाली साल 2011 में लागू की गई थी और 2018 तक 34 लाख से ज्यादा वाहन फास्टैग का इस्तेमाल कर रहे थे. साल 2017 के बाद खरीदे जाने वाले सभी वाहनों के लिए फास्टैग को जरूरी कर दिया था. फास्टैग पूरी तरह से लागू होने के बाद कैश पेमेंट से लोगों को छुटकारा मिल जाएगा, साथ ही ईंधन और समय की बचत भी होगी. (Photo: File)
उल्लेखनीय है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक एक वाहन के लिए केवल एक फास्टैग मिलता है. अगर फास्टैग डैमेज हो जाए तो आप आसानी से उसे बदल सकते हैं. क्योंकि एक गाड़ी के लिए केवल एक फास्टैग नंबर जारी होता है, जिसमें व्हीकल का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC), टैग आईडी समेत दूसरे डिटेल्स भरने होते हैं. ऐसे में केवल पुरानी डिटेल देकर फिर से फास्टैग को इश्यू करवाया जा सकता है.
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