नई दिल्ली: बैंकों ने FASTag के जरिये होने वाले टोल भुगतान के एवज में अपना मार्जिन बढ़ाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है. बैंकों ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को पत्र लिखकर FASTag प्रोजेक्ट मैनेजमेंट फीस (PMF) बढ़ाने की बात कही है.
इंडियन बैंक एसोसएिशन (IBA) ने एनएचएआई और सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजी अपनी सिफारिश में कहा है कि बैंकों के हितों को देखते हुए PMF की पुरानी दर को ही बहाल किया जाए. बैंकों को टोल पर हर भुगतान के लिए कुल राशि का 1.5 फीसदी PMF मिलता था. लेकिन, एनएचएआई ने अप्रैल, 2022 से इस राशि को घटाकर 1 फीसदी कर दिया है. एसोसिएशन ने कहा कि PMF की पुरानी दर को कम से कम दो साल के और लागू किया जाना चाहिए और इसमें 31 मार्च, 2024 के बाद ही बदलाव किया जाए.
95 फीसदी टोल वसूली फास्टैग से
सरकार ने जबसे देश के सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग से टोल वसूली अनिवार्य बनाया है, इसके जरिये भुगतान में बड़ा उछाल दिखा है. जब कोई वाहन टोल प्लाजा से गुजरता है तो बैंक ऑटोमेटिक तरीके से उसके फास्टैग के जरिये टोल कर भुगतान करते हैं. इस सेवा के लिए बैंक शुल्क भी लेते हैं. अभी टोल प्लाजा पर होने वाले कुल भुगतान में 95 फीसदी हिस्सेदारी फास्टैग की रहती है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर बैंकों का मार्जिन दोबारा बढ़ाया जाता है तो काफी संभावना है कि फास्टैग इस्तेमाल करने का शुल्क भी और बढ़ सकता है.
बैंकों ने बताया बड़ा नुकसान
बैंकों ने आईबीए के जरिये भेजी सिफारिश में कहा है कि इंटरचेंज फीस में कटौती की वजह से उन्हें बड़ा नुकसान हो रहा है. 1 अप्रैल से इंटरचेंज फीस 1.5 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी कर दी गई और इसके बाद से अब तक एनईटीसी फास्टैग के बिजनेस से होने वाली कमाई में 31 फीसदी की गिरावट आई है. सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव गिरिधर अरमाने ने कहा है कि एनपीसीआई और बैंक पीएमएफ फीस में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं और हम उनके साथ इसका हल निकालने की कोशिश में हैं. जल्द इस पर कुछ फैसला आने की उम्मीद है.
फास्टैग ने बढ़ाई टोल वसूली
सड़क मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, फास्टैग अनिवार्य होने के बाद टोल वसूली में बड़ा उछाल आया है. 2018 में जहां फास्टैग का इस्तेमाल सिर्फ 16 फीसदी था, वहीं अब यह बढ़कर 96 फीसदी पहुंच गया है. 2018 में कुल टोल वसूली 22 हजार करोड़ की थी, जिसमें 3,500 करोड़ फास्टैग के थे. 2022 में कुल टोल 34,500 करोड़ वसूला गया जिसमें फास्टैग का हिस्सा 33 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा था. सरकार को जल्द ही यह राशि 40 हजार करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है.
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