नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने शनिवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीरी पंडितों ने पलायन से बहुत कुछ झेला है, उनका दर्द अनगिनत है. उन्होंने आरोप लगाते हुए ये भी कहा कि कश्मीर के लोगों का वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया गया, उनसे वादे किए गए, लेकिन कभी पूरे नहीं किए गए.
फारूक अब्दुल्ला ने ये बातें पार्टी की अल्पसंख्यक विंग के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहीं. अल्पसंख्यक विंग ने शनिवार को हुई बैठक में तीन प्रस्ताव पास किए. इसमें एक कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी से जुड़ा प्रस्ताव भी शामिल है. इसके साथ ही समुदाय के लिए मंदिर और धार्मिक स्थलों के प्रबंधन के लिए एक बिल पास करने की भी मांग की.
इस दौरान फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘कश्मीरी पंडित तीन दशकों से अपनी सम्मानजनक वापसी और पुनर्वास के लिए तरह रहे हैं. ये मुद्दा बहुत ही महत्वपूर्ण है.’ अब्दुल्ला ने दावा करते हुए कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो पंडितों की घाटी में वापसी और पुनर्वास को सुनिश्चित कर सकती है.
मुस्लिमों ने घाटी से पंडितों को नहीं भगायाः अब्दुल्ला
उन्होंने कहा, ‘कुछ ताकतों को लग रहा था कि वो पंडितों को यहां से भगाकर कश्मीर पर कब्जा कर लेंगे, लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि वो कभी भी अपने नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकेंगे. मैं जम्मू के लोगों का धन्यवाद देता हूं जो उन्हें कश्मीरी पंडितों को सहारा दिया.’
अब्दुल्ला ने आगे कहा, ‘बीजेपी ने हमेशा कश्मीरी पंडितों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया और उनके लिए कुछ नहीं किया. कुछ ताकतों ने कश्मीरी पंडितों और मुस्लिमों को बांटने की कोशिश की. मुसलमानों ने पंडितों को कभी घाटी छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया, बल्कि कुछ लोगों ने ऐसा किया.’ उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय भी नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में अपने हिस्से के लायक हैं लेकिन उन्होंने कभी पंडितों के अधिकार नहीं छीने.
अब्दुल्ला बोले- कुछ नेता अपने फायदे के लिए लोगों को बांट रहे हैं
उन्होंने कहा, ‘हमने घाटी में पंडितों की वापसी सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की, लेकिन कुछ तत्वों ने पंडितों के कत्लेआम को अंजाम देकर इस पूरी प्रक्रिया को बाधित कर दिया. मैं पंडितों से माफी मांगता हूं कि 90 के दशक में उनकी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं कर सका. मैं आप लोगों से नफरत से दूर रहने और प्यार फैलाने की अपील करता हूं.’
फारूक अब्दुल्ला यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा, ‘हम राजनेता लोग अपने फायदे के लिए लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. लोगों को सांप्रदायिक ताकतों को फायदा उठाने नहीं देना चाहिए, बल्कि एकजुट होकर ऐसे नापाक मंसूबों को हराना चाहिए.’
अब्दुल्ला ने केंद्र की ओर इशारा करते हुए कहा कि कश्मीरी पंडितों के कई सारे नेता हैं, लेकिन कभी भी उन्हें एकजुट होने की अनुमति नहीं दी जाएगी. नौकरियों में बाहरी लोगों को वरीयता दी जा रही है, ये जम्मू विरोधी कदम है, लेकिन इस बारे में कोई बात नहीं कर रहा है. सरकार महिला आरक्षण का बिल भी लेकर नहीं आ रही है. वो किसान बिल लेकर आए थे लेकिन अपने राजनीतिक हितों के लिए वापस ले लिए.
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