- प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ जिलों में शुरू होगी योजना
भोपाल। खाद की कालाबाजारी (Black Marketing) रोकने के लिए सरकार डिजिटल प्रणाली (Digital System) को अब और मजबूत करने जा रही है। अब किसानों को खाद खरीदने से पहले विक्रेता को डिजिटल वाउचर (Digital Voucher) दिखाना होगा। यह वाउचर पंजीकृत किसान को उसके मोबाइल फोन पर मिलेगा। इस वाउचर के माध्यम से किसान अपने हिस्से की खाद पात्रता अनुसार ले सकेंगे। जल्द ही सहकारिता और कृषि विभाग एक जिले में यह पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) करेगा। इससे सरकार को यह पता चलेगा कि जिस किसान के नाम पर खाद बेची जा रही है वह वास्तविक हितग्राही है
या नहीं।
केंद्र सरकार (Central Government) ने यूरिया एवं डीएपी वितरण में गड़बडिय़ां पर अंकुश लगाने के लिए ई-वाउचर आधारित डिजिटल भुगतान प्रणाली ई-रुपी की व्यवस्था को लागू किया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खाद आपूर्ति के संबंध में केंद्रीय मंत्री रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया (Union Minister Chemicals and Fertilizers Mansukh Mandaviya) से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने सुझाव दिया था कि प्रदेश केंद्र सरकार की ई-रुपी वाउचर (e-voucher) योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर खाद के लिए एक जिले में लागू करे। मुख्यमंत्री ने इस पर सहमति जताई, जिसके आधार पर कृषि और सहकारिता विभाग ने इसकी तैयारी प्रारंभ कर दी है। विभाग के अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी ने बताया कि केंद्र सरकार किसानों को खाद पर काफी अनुदान देती है। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों से किसानों को स्वीकृत साख सीमा के आधार पर खाद दी जाती है। जो कुल ऋण स्वीकृत होता है, उसमें 25 फीसद हिस्सा वस्तु के तौर पर मिलता है और बाकी राशि नकद मिल जाती है ताकि वो कृषि से संबंधित अन्य व्यवस्थाएं कर ले। वस्तु के रूप में किसान खाद (यूरिया और डीएपी) लेते हैं। जिसके पास वॉउचर आएगा वही खरीद पाएंगे खाद
किसान को ई वाउचर मोबाइल पर भेजा जाएगा। इससे जब वो खाद लेने के लिए समिति में जाएगा तो उसे वह सेल्समैन को बताएगा। स्कैन करने पर पात्रता का पता चल जाएगा और सामग्री दे दी जाएगी। यह वाउचर लाभार्थी किसी को हस्तांतरित नहीं कर पाएगा। इससे गड़बड़ी की आशंका समाप्त होगी और यह सुनिश्चित हो सकेगा कि जिस किसान की जितनी पात्रता है, उतनी ही खाद दी गई या नहीं। वास्तविक किसान को लाभ मिलेगा।