भोपाल। गेहूं की पैदावार में किसानों का मुनाफा कम हो रहा है। डीजल के दामों के साथ मजदूरी मंहगी हो जाने से मुनाफा प्रभावित हो रहा है। एक बीघा खेती में किसान की लागत लगभग 6 सौ रुपए प्रति बीघा बढ़ गई। लेकिन इस दौरान गेहूं के दामों में सिर्फ 2 सौ रुपए प्रति क्विंटल की तक की बढ़ोत्तरी ही हो पाई है। लागत की तुलना में भाव न बढऩे से मुनाफा कम हो रहा है। बता दें कि जिले में डेढ़ लाख हेक्टेयर जमीन में किसानों ने गेहूं की पैदावार की है। 5 साल पहले गेहूं की पैदावार में आने वाले खर्च व वर्तमान में आ रहे खर्च के साथ 5 साल में गेहूं के बढ़े दामों पर गौर किया तो सामने आया कि प्रति बीघा लागत को बढ़ गई। लेकिन जिस हिसाब से लागत बढ़ी गेहूं के दाम नहीं बढ़ें। मुनाफा कम हो गया।
गेहूं की ओर रुझान इसलिए
प्रदेश में किसानों का गेहूं की खेती की ओर रूझान इसलिए बढ़ा है कि यहां सिंचाई की व्यवस्था बढ़ गई है। किसान गेहूं की बुबाई जनवरी के प्रथम सप्ताह तक करते हैं। गेहूं के अलावा अन्य रबी फसल यानि चना, सरसों, मटर आदि की बुबाई सितंबर से अक्टूबर के मध्य करनी होती है। सिंचाई के लिए भरपूर पानी व बुबाई के लिए पर्याप्त समय मिलने के कारण किसानों को रुझान गेहूं की ओर बढ़ रहा है।
लागत बढऩे से मुनाफा कम हो गया
किसानों का कहना है कि पांच साल पहले लागत कम थी। डीजल के दाम बढ़ गए, और मजदूरी भी बढ़ गई। कई बार किसान को खाद भी अधिक दामों में खरीदना पड़ता है। लागत बढ़ जाने से गेहूं में मुनाफा कम हो गया। वहीं मंडी में किसानों को भाव अच्छे नहीं मिलते तो मुनाफा और गिर जाता हैं।
पिछले चार वर्ष में गेहूं के दाम
वर्ष न्यूनतम मध्यम उच्चतम
वर्तमान में बहुत कम आवक है- 1850 से 1900 रुपए के भाव में कृृषि मंडी में गेहूं खरीदा जा रहा है।
1 अप्रैल को डीजल के
भाव पर एक नजर
गेहूं के भाव नहीं बढ़े, लाभ कम हुआ
5 साल की तुलना में देखे तो डीजल, दवा, मजदूरी मंहगी हो जाने से किसानों को मुनाफा कम हुआ है। जिस हिसाब से इन चीजों के दाम बढ़े हैं। गेहूं के भाव नहीं बढ़े।
साल 2017 में प्रति बीघा 4530 रुपए लागत
सिंचाई, मजदूरी
साल 2021 में में 5192 रुपए प्रति बीघा लागत
सिंचाई, मजदूरी
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