चंडीगढ़। किसान नेता (farmer leader) राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि हमारी मांग मानी नहीं गई। प्रशासन (Administration) ने एसडीएम (SDM) की पिछली कार्रवाई का स्पष्टीकरण देने की कोशिश की है। अब हम आगे की कार्रवाई पर फैसला लेने के लिए किसानों के साथ बैठक करेंगे। हमने प्रशासन से कहा कि अधिकारी को सस्पेंड कर दो, आगे जो जांच है, वो चलती रहेगी। लेकिन वे इस बात पर भी नहीं माने। जब उनसे पूछा कि किसान शहर में आए तो नुकसान हो सकता है, इस पर उन्होंने जवाब दिया कि हो जाने दो..। जो कुछ होगा। हमें क्या पता, जो होगा उसकी जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार टकराव चाहती है।
करनाल में हालात सामान्य, किसानों ने जींद के सभी हाईवे खोले
करनाल (Karnal) में कल रात से हालात सामान्य रहने के बाद बुधवार सुबह किसानों ने जींद में सभी हाईवे खोल (highway shell) दिए। किसानों ने जींद-चंडीगढ़, हिसार-चंडीगढ़, जींद-करनाल और जींद-दिल्ली राजमार्गों को बाधित किया था। किसानों का कहना है कि जैसे ही करनाल से कोई आदेश आएगा, हरियाणा जाम कर दिया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार किसानों को छेड़ने की गलती न करे। फिलहाल जींद में सभी मार्गों पर ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त है।
किसान नेता बताएंगे आगे की रणनीति : 28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में मंगलवार को करनाल में किसानों की महापंचायत हुई। इसके बाद प्रशासन से वार्ता विफल होने के बाद किसानों ने लघु सचिवालय का घेराव किया। रात भर किसानों का धरना जारी रहा। कुछ देर बाद किसान नेता आगे की रणनीति का खुलासा करेंगे।
हर पल का अपडेट पहुंचा सरकार के पास : वहीं मंगलवार को पूरे घटनाक्रम का सरकार ने पल-पल का फीडबैक लिया। डीजीपी पीके अग्रवाल और एडीजीपी कानून एवं व्यवस्था नवदीप सिंह विर्क हर घटनाक्रम की जानकारी तत्काल मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृहमंत्री अनिल विज को देते रहे। सुबह से लेकर रात तक चले घटनाक्रम पर सरकार की निगाह टिकी रही।
सरकार नहीं चाहती बसताड़ा टोल की पुनरावृत्ति
इस बार सरकार का पूरा फोकस किसानों की महापंचायत को शांतिपूर्ण तरीके से कराने को लेकर रहा। प्रदेश सरकार किसी भी सूरत में 10 दिन पहले बसताड़ा टोल की घटना की पुनरावृत्ति नहीं चाहती थी। ऐसे में सरकार का खुफिया विभाग भी अलर्ट रहा और तमाम घटनाक्रम की जानकारी आला अधिकारियों को देता रहा। हालांकि, सरकार द्वारा की गई तमाम तैयारियों के बावजूद किसानों ने शाम को लघु सचिवालय का घेराव कर लिया और वहीं पर डेरा जमा लिया। पूरी रात किसान सड़कों पर डटा रहा और सरकार-प्रशासन की सांसें अटकी रहीं।
अगर बंद हुई सड़क तो प्रभावित होगा सरकारी और गैर-सरकारी कामकाज
अगर किसानों ने सेक्टर-12 रोड को लंबे समय तक के लिए बंद रखा तो इससे लोगों का न केवल सरकारी बल्कि गैर सरकारी काम काज भी प्रभावित होगा। क्योंकि सचिवालय के अंदर स्थित 40 विभागों के कार्यालयों के अलावा सेक्टर-12 के 20 से ज्यादा बैंक, 15 से ज्यादा बीमा कंपनियों और 30 से ज्यादा अन्य निजी कार्यालय, इसी रोड पर स्थित हैं। यहां हजारों लोग कामकाज के लिए आते हैं।
करनाल में दिखी किसान एकता : किसान महापंचायत को लेकर मंगलवार को देशभर के किसानों व सियासतदारों की निगाहें करनाल पर टिकी रहीं। वहीं भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, संयुक्त किसान मोर्चा व भाकियू (चढ़ूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढ़ूनी के बीच दूरियों की चर्चा भी होती रही। घरौंडा की महापंचायत के मंच पर राकेश टिकैत के नहीं पहुंचने की सूचना से भी ऐसी बातों को बल मिला, लेकिन गुरनाम सिंह चढूनी द्वारा आहूत करनाल किसान महापंचायत में राकेश टिकैत, संयुक्त किसान मोर्चा के योगेंद्र यादव, बलबीर राजेवाल आदि नेताओं ने पहुंचकर किसान एकता का संदेश देने का प्रयास किया।
विपक्षी दलों को नहीं दी तरजीह : महापंचायत में गुरनाम सिंह चढूनी सबसे पहले पहुंचे, लेकिन इसके सिर्फ 37 मिनट बाद संयुक्त किसान मोर्चा के योगेंद्र यादव व 38 मिनट बाद राकेश टिकैत के पहुंचने से चढूनी से दूरियों की सभी बातों पर विराम लग गया। किसानों का जोश चार गुना और बढ़ गया। खास बात यह भी रही कि महापंचायत में किसान नेताओं ने विपक्षी पार्टियों को भी कोई तरजीह नहीं दी, भाजपा सरकारों को जरूर जमकर कोसा। विपक्षी व सत्तारूढ़ दल के कई नेता लगातार महापंचायत में मौजूद अपने परिचितों से अपडेट लेते रहे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved