भोपाल। प्रदेश सरकार अब किसानों को मिलनी वाली सेवाएं ऑनलाइन मुहैया कराने पर जोर दे रही है। सरकार की कोशिश है कि किसान ज्यादा से ज्यादा सरकारी सेवाओं का लाभ ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए लें। अभी तक किसानों को फसल उपार्जन के लिए पंजीयन, जमीन रजिस्ट्री, खसरा, खतौनी की नकल, केसीसी और ऑनलाइन शिकायत के बाद अब खाद बीज की भी एडवांस ऑनलाइन बुकिंग की जा सकेगी। किसानों को सेवा प्रदाय करने वाले विभागों में अब ऑनलाइन सेवाएं देने में की होड़ मची है। किसानों को अब खसरा खतौती के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़े रहे हैं। वे किसान एप या फिर किसी भी सायबर कैफे से रिपोर्ट निकलवा सकते हैं। खास बात यह है कि बैंकों से किसान के्रेडिट कार्ड बनवाने और फिर जमीन को बंधक बनवाने के लिए भी अब किसानों को सरकारी कार्यालय या अधिकारियों के चक्कर नहीं काटने पड़ रहे हैं। राजस्व विभाग ने किसानों की जमीन को बंधक बनाने और ऑनलाइन खसरा-खतौनी बनाने लोड करने के सीमित अधिकारी बैंकों को ही दे दिए हैं। जिससे किसान अब रिपोर्ट के लिए पटवारी एवं तहसीलदारों के चक्कर नहीं लगा रहे हैं।
एप से उपार्जन का पंजीयन
किसानों को समर्थन मूल्य पर फसल उपार्जन के लिए पंजीयन कराने के लिए भी अब सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ रहे हैं। किसान एप के जरिए ही किसानों का पंजीयन हो रहा है। क्योंकि किसानों का आधार नंबर और बैंक खाता नंबर पहले से ही सरकार के पास रिकॉर्ड में हैं।
फसल के साथ मिलेगी रिपोर्ट
अभी तक किसानों को जो रिपोर्ट दी जाती थ्ीा, वह खाली रहती थी। ऐसी स्थिति में किसान को रिपोर्ट में फसल दर्ज कराने के लिए पटवारी और तहसील कार्यालय के चक्कर काटने ही पड़ते थे। अब मुख्यमंत्री ने इस व्यवस्था में बदलाव कर दिया है। अब किसानों को फसल का नाम दर्ज करने के बाद ही रिपेार्ट मिलेगी। इतना ही नहीं किसान एप के जरिए किसान अब खुद भी खसरा नंबर में बोई गई फसल का नाम दर्ज कर सकते हैं।
अब फर्टिलाइजर की एडवांस बुकिंग की सुविधा
किसान अब रबी एवं खरीफ सीजन के लिए फर्टिलाइन की एडवांस बुकिंग करा सकते हैं। इसके लिए किसान को राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) की वेबसाइट पर आवेदन करना होगा। सूचना संबंधित सहकारी समिति के पास पहुंच जाएगी। परीक्षण में पात्रता सही पाए जाने पर किसान को एसएमएस से बुकिंग की सूचना दी जाएगी। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का दावा है कि किसानों के हित में इस तरह की पहल करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है। प्रमुख सचिव सहकारिता उमाकांत उमराव ने बताया कि खाद बिक्री व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदारी लानेे के साथ किसानों को सुविधा देने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। इस व्यवस्था का दुरुपयोग न हो, इसके लिए समिति स्तर पर उपलब्ध खाद का अधिकतम बीस फीसद हिस्सा ही आरक्षित किया जा सकेगा। प्रदेश में हर साल खरीफ और रबी फसलों के लिए 28 लाख टन यूरिया की जरूरत पड़ती है। आमतौर पर एक साथ खाद की मांग आती है और अव्यवस्था की स्थिति निर्मित हो जाती है। इससे बचने के लिए सरकार ने तय किया है कि किसानों को अग्रिम बुकिंग की सुविधा दी जाए। इसमें किसान अपनी जरूरत की खाद पहले से ही आरक्षित करा लेगा। सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 4,529 सहकारी समितियां मार्कफेड से ऑनलाइन जुड़ी हुई हैं। समितियों को खाद की आपूर्ति मार्कफेड ही करता है। इसके लिए समितियां मांग भेजती हैं, जो सहकारी बैंकों के माध्यम से आती है।
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