नोएडा/ नई दिल्ली. संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) के नेतृत्व में आज हजारों किसान दिल्ली कूच करेंगे. एक दिन पहले ही किसानों और प्रशासन के बीच हाईलेवल (highlevel) मीटिंग हुई थी. लंबे समय से किसान नोएडा (Noida) की तीनों अथॉरिटी का घेराव करते आ रहे हैं. रविवार को जब मांगों पर सहमति नहीं बनी तो उन्होंने ‘दिल्ली चलो’ का नारा बुलंद किया है. किसान अब संसद घेराव का घेराव करना चाहते हैं. आंदोलन करने वाले किसान संगठन जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को 10 फीसदी विकसित प्लॉट और नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ देने की मांग उठा रहे हैं.
फिलहाल, किसानों के ऐलान के बाद नोएडा और दिल्ली पुलिस अलर्ट हो गई है और बॉर्डर पर सतर्कता बरती जा रही है. कई जगहों पर बेरिकेड्स लगा दिए गए हैं. कई किसान नेताओं को नजरबंद किया जा रहा है. नोएडा से सटे सभी बॉर्डर पर बैरिकेटिंग की गई है. नोएडा और दिल्ली पुलिस ने समन्वय स्थापित किया है. मेट्रो के इस्तेमाल की सलाह दी गई है.
कल क्या हुआ था?
रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों की नोएडा अथॉरिटी, पुलिस और जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक हुई. ये बैठक यमुना प्राधिकरण के सभागार में करीब 3 घंटे तक चली. हालांकि, वार्ता विफल रही. किसानों का कहना है कि अधिकारियों ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है.
किसानों की डिमांड्स क्या हैं?
किसानों का कहना है कि नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि का 4 गुना मुआवजा दिया जाए. गौतमबुद्ध नगर में 10 साल से सर्किल रेट भी नहीं बढ़ाया गया है. नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ जिले में लागू किए जाएं. किसान चाहते हैं कि जमीन अधिग्रहण के बदले 10 फीसदी विकसित भूखंड दिया जाए और 64.7 फीसदी की दर से मुआवजा दिया जाए. भूमिधर, भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्विकास के लाभ दिए जाएं. हाई पावर कमेटी की सिफारिशें लागू की जाएं. आबादी क्षेत्र का उचित निस्तारण किया जाए. ये सारे निर्णय शासन स्तर पर लिए जाने हैं.
कब से चल रहा प्रदर्शन?
नोएडा के किसान सोमवार (2 दिसंबर) को दिल्ली की ओर कूच करेंगे. किसानों का कहना है कि आबादी निस्तारण की मांग को लेकर वे तीनों प्राधिकरण (नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी) के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों ने सबसे पहले महापंचायत की थी. उसके बाद 27 नवंबर को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बाहर बाहर प्रदर्शन किया. 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक यमुना विकास प्राधिकरण के बाहर प्रदर्शन किया. इस दरम्यान अफसरों से बातचीत भी हुई. रविवार को किसानों और अधिकारियों के बीच हाईलेवल बैठक हुई, लेकिन मांगों पर सहमति नहीं बन सकी. आंदोलन के तीसरे और अंतिम चरण 2 दिसंबर को संसद सत्र के दौरान दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है.
कौन किसान संगठन निकाल रहे मार्च?
भारतीय किसान परिषद (BKP) ने किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) जैसे कई अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर घोषणा की है कि वे सोमवार को दिल्ली की ओर मार्च करेंगे. BKP नेता सुखबीर खलीफा के नेतृत्व में पहला समूह 2 दिसंबर को दोपहर 12 बजे नोएडा के महामाया फ्लाईओवर के नीचे से अपना मार्च शुरू करेगा.
क्या है किसानों का प्लान?
प्रदर्शनकारी किसान सबसे पहले महामाया फ्लाईओवर के पास दोपहर 12 बजे से जुटना शुरू होंगे और दिल्ली की ओर ट्रैक्टरो से मार्च करेंगे. गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, आगरा समेत 20 जिलों के किसान दिल्ली मार्च में शामिल हो रहे हैं.
पंजाब-दिल्ली के किसान कब दिल्ली कूच करेंगे?
पंजाब-हरियाणा के किसान 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने बताया कि पंजाब और हरियाणा के सीमा क्षेत्र पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता 6 दिसंबर को दिल्ली के लिए मार्च करेंगे.
पंढेर का कहना था कि केंद्र ने अब तक किसानों से उनके मुद्दों पर बातचीत नहीं की है. एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानूनी गारंटी की मांग पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 6 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर किसानों का पहला जत्था रवाना होगा. इस जत्थे में किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, सुरिंदर सिंह चौटाला, सुरजीत सिंह फूल और बलजिंदर सिंह शामिल होंगे. ये जत्था जरूरी सामान लेकर दिल्ली रवाना होगा और शांतिपूर्ण मार्च करेगा. पहला जत्था अंबाला के जग्गी सिटी सेंटर, मोहरा अनाज मंडी, खानपुर जट्टन और हरियाणा के पिपली में रुकने के बाद दिल्ली की ओर बढ़ेगा. किसान 9 बजे सुबह से शाम 5 बजे तक चलेंगे और रात सड़क पर बिताएंगे.
दिल्ली बॉर्डर पर कब से धरना?
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के बैनर तले किसान 13 फरवरी 2024 से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं. सुरक्षा बलों ने उनके दिल्ली मार्च को रोक दिया था. किसान 293 दिनों से इन बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं.
किसानों का क्या आरोप?
पंढेर का कहना है कि सरकार ने 18 फरवरी के बाद से किसानों से कोई बातचीत नहीं की. सरकार हमसे बातचीत करने से भाग रही है. कृषि क्षेत्र में अनुबंध खेती को हम स्वीकार नहीं करते. हम फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं.
किसानों की अन्य मांगें
किसान आंदोलन के तहत किसान ऋण माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में वृद्धि ना करने, पुलिस मामलों की वापसी, 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की पुनर्स्थापना और 2020-21 के आंदोलन के दौरान शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं.
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