नई दिल्ली: किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली से सटी सीमा पर बड़ी संख्या में पंजाब के किसानों के एकत्रित होने को लेकर गृह मंत्रालय और पंजाब सरकार के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. पंजाब सरकार ने राज्य में कानून की स्थिति बिगड़ने के गृह मंत्रालय के दावे को नकारते हुए कहा कि राज्य में किसान आंदोलन से बने हालातों के साथ कारगर ढंग से निपटा जा रहा है. पंजाब के मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र में कहा कि यह कहना बिल्कुल गलत है कि पंजाब सरकार की अनुमति से ही शंभू और ढाबी-गुजरां बॉर्डर पर लोग इकट्ठा हुए हैं.
‘हरियाणा सरकार के कारण लगा है जाम’
अनुराग वर्मा ने कहा कि अपने संघर्ष के लिए दिल्ली कूच करने वाले किसानों पर हरियाणा पुलिस ने बल प्रयोग कर आगे नहीं निकलने दिया. किसानों को रोकने के कारण ही पंजाब और हरियाणा बॉर्डर पर लोग इकट्ठा हो गए. हरियाणा पुलिस की ओर से आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां और बल प्रयोग के कारण लगभग 160 लोगों के घायल होने की सूचना है. बावजूद इसके पंजाब सरकार संवेदनशील तरीके से कानून व्यवस्था को बनाए रखी है. अनुराग वर्मा ने बताया है कि स्थिति को शांत और काबू में रखने के लिए डीआईजी रैंक के आईपीएस और पीपीएस अधिकारियों समेत 2000 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है और लगातार समीक्षा की जा रही है.
क्या है गृह मंत्रालय का कहना
गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार से कहा कि पिछले कुछ दिनों से राज्य में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति चिंता का विषय रही है. मंत्रालय ने कहा था कि ऐसा लगता है कि विरोध की आड़ में उपद्रवियों और कानून तोड़ने वालों को पथराव करने, भीड़ जुटाने और पड़ोसी राज्यों में अशांति और अव्यवस्था फैलाने के स्पष्ट इरादे से सीमा पर भारी मशीनरी ले जाने की खुली छूट दे दी गई है.
पंजाब सरकार ने दी थी किसानों को प्रदर्शन की छूट
गृह मंत्रालय की आंतरिक रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगभग 1200 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों, 300 कारों, 10 मिनी-बसों और अन्य छोटे वाहनों के साथ राजपुरा-अंबाला रोड पर लगभग 14000 लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति दी गई थी. इसी तरह, राज्य सरकार द्वारा ढाबी-गुजरान बॉर्डर पर लगभग 500 ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ लगभग 4500 व्यक्तियों की विशाल सभा की अनुमति दी गई थी, जिसे लेकर गृह मंत्रालय ने नाराजगी जताई है.
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