किसान संगठनों की बैठक हुई जिसके बाद किसानों ने केंद्र के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इस बैठक में 40 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया था। बैठक को लेकर जानकारी देते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि हम तीनों कृषि कानूनों में किसी भी प्रकार के बदलाव की बात नहीं कर रहे हैं। फिर से तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं। गौरतलब है कि अब किसानों के साथ कई अर्थशास्त्री भी साथ आ गए हैं। अर्थशास्त्रियों ने कृषि मंत्री को बकायदा पत्र लिखकर कहा है कि इन कानूनों से किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। यादव ने आगे कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर जो प्रस्ताव सरकार से आया है उसमें कुछ भी साफ नहीं है और स्पष्ट नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार ठोस प्रस्ताव लिखित में भेजें और खुले मन से बातचीत के लिए बुलाए। भारतीय किसान यूनियन युधवीर सिंह ने कहा, “जिस तरह से केंद्र बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है। इससे ये स्पष्ट है कि सरकार इस मुद्दे पर देरी करना चाहती है और किसानों के प्रदर्शन करने के मनोबल को तोड़ना चाहती है। सरकार हमारे मुद्दों को हल्के में ले रही है, मैं उन्हें इस मामले पर संज्ञान लेने के लिए चेतावनी दे रहा हूं और जल्द ही इसका हल ढूंढूंगा।
पहले केंद्र सरकार ने नए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के सामने शर्त रखी थी कि किसान यदि बॉर्डर से हटकर बुराड़ी स्थित निरंकारी समागम मैदान में प्रदर्शन करते हैं तो सरकार उनसे बातचीत को तैयार है। हालांकि, इसके बाद केंद्र बैकफुट पर आई और किसानों के साथ छह दौर की बातचीत हुई, पर सभी वार्ताएं बेनतीजा रही। इसके बाद मंगलवार को फिर से किसानों को एक पत्र भेजा गया था। किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के श्रवण सिंह पंढेर ने कहा था कि केंद्र ने मंगलवार को एक पत्र भेजा है। जिसमें कहा है कि किसान कृषि कानून वापस लेने वाली बात से पीछे हटकर संशोधन करने के लिए बात करना चाहते हैं तो समय और तारीख दें। किसानों ने आरोप लगाया है कि केंद्र किसान संगठनों पर चक्रव्यूह रचने का प्रयास कर रही है।
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